०७ दिसम्बर, २०२०
उत्तर प्रदेशके रामपुरमें ‘मुमताज पार्क’का नाम भी परिवर्तित कर दिया गया है । आजम खानने यह ‘पार्क’ शासकीय धनसे अपने पिताके नामपर बनवाया था । इस ‘पार्क’की लागत साठ लक्ष (लाख) रुपयोंकी बताई जा रही है । उस समय आजम सांसद और नगर विकास मन्त्री था । शासनके धनसे उसने इस ‘पार्क’का निर्माण दस माहके भीतर सम्पन्न करवा लिया था । इसका उद्घाटन वर्ष ‘२०१३’में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ‘अजहर खान’ने किया था; किन्तु इस ‘पार्क’के द्वार जनसाधारणके लिए कभी भी नहीं खोले गए ।
अभी ११ माह पूर्व ही इसके द्वार खोल गए, जब लघु उद्योगके संयोजक आकाश सक्सेनाने ‘डीएम’से परिवाद किया कि शासकीय धनसे बने ‘पार्क’का नाम परिवर्तित किया जाए और नागरिकोंके लिए खोला जाए ।
लम्बे समयतक मन्थनके पश्चात प्रशासनिक अधिकारियोंने, प्रथम शिक्षा मन्त्री एवं सांसद ‘मौलाना अब्दुल कलाम’के नामपर रामपुरमें कोई स्थान नहीं पाया । उसीके नामपर इस ‘पार्क’का नाम परिवर्तित करनेकी अनुमति दे दी और ‘पार्क’का नया नाम रख दिया गया ।
इससे पूर्व ‘आला हजरत हज हाउस’, जो कि ५१ कोटि रुपयोंकी लागतसे बनाया गया था, उसकी जांचके आदेश भी दिए गए थे । अल्पसङ्ख्यक मन्त्री नन्द गोपालने इसका परिवाद किया था कि इसपर आवश्यकतासे अधिक धन क्यों व्यय किया गया है ? जौहर विश्वविद्यालयकी भीतपर (दीवारपर) भी योगी शासनने ‘बुलडोजर’ चलवा दिया, जिसका कुलपति ‘भू-माफिया’ आजम खान है ।
उच्च पद प्राप्त होते ही जिहादियोंने अपने परिजनके नामपर शासनके धनका दुरुपयोग किया, राज्यकी भूमिको हडपनेका प्रयास किया । कुछ वर्षों उपरान्त वे इसी भूमिको अपने पूर्वजोंकी व्यक्तिगत भूमि बताएंगे । ऐसे जिहादियोंको अभीसे शासनद्वारा उखाड फेंकना चाहिए; अन्यथा बाबरी मस्जिदके समान, भविष्यमें एक और समस्या उत्पन्न हो सकती है । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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