आतंकवादी बुरहान वानीके पिता अपने दो पुत्रोंको जिहादीके रूपमें खोनेमें पश्चात् अपनी पुत्रीको भी जिहादके लिए समर्पित करनेको सिद्ध हैं ! वहीं यदि कोई हिन्दू युवक या युवती धर्मके लिए पूर्ण समय कार्य करने हेतु तत्पर हों तो उनके कुटुम्बके सदस्य उनके समक्ष, सबसे बडा अवरोधक बनकर खडे हो जाते हैं और धर्मके लिए अपनी सन्तानोंको अपना जीवन समर्पित करनेकी सीख देनेवाले हिन्दू माता-पिता तो आज ढूंढनेसे भी नहीं मिलेंगे ! देखें मुसलमानोंके और हिन्दुओंके धर्मप्रेममें भेद ! – तनुजा ठकुर (१६.८.२०१६)
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