पाठशालाओंमें सूर्य-नमस्कारका ‘मुस्लिम लॉ बोर्ड’ने किया विरोध, ‘मुसलमानी’ ‘मजहब’की आज्ञा न होना बताकर, छात्रोंको दूर रहनेका दिया परामर्श
०४ जनवरी, २०२१
‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ने १ से ७ जनवरीके मध्य पाठशालाओंमें सूर्य नमस्कार आयोजित करनेके निर्णयपर आपत्ति जताई है और केन्द्र शासनका विरोध करते हुए कहा है, “इस्लाम सूर्य नमस्कारकी आज्ञा नहीं देता; क्योंकि यह सूर्य पूजाका ही रूप है ।”
उनके ‘मौलाना’ खालिद सैफुल्लाह रहमानीने एक वक्तव्य प्रेषितकर कहा, “भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक देश है । इन्हीं सिद्धान्तोंपर हमारा संविधान लिखा गया है । पाठशालाके पाठ्यक्रमोंको भी इसका ध्यान रखकर बनाया गया है; किन्तु यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान शासन इस सिद्धान्तसे भटक रहा है । यहांपर बहुसंख्यक समुदायके ‘रीति-रिवाज’ और पूजापद्धतिको सभी धर्मोंपर थोपा नहीं जा सकता है ।” उन्होंने मुसलमान छात्र-छात्राओंसे सूर्य नमस्कार कार्यक्रमसे दूर रहनेकी प्रार्थना की । उन्होंने शासनसे इस निर्देशको निरस्त करनेके लिए कहा । शिक्षा मन्त्रालयके सचिवने स्वतन्त्रताके ७५ वर्ष पूर्ण होनेपर ३० राज्योंमें सूर्य-नमस्कार योजना चलानेका निर्णय किया है और प्रथम चरणमें ३० सहस्र पाठशालाओंको सम्मिलित किया गया है, जहां सूर्य नमस्कार कराया जाना है; किन्तु समितिने इसे असंवैधानिक कृत्य बताया है ।
दोगले इस कार्यक्रमको असंवैधानिक बताते हैं और अन्य संवैधानिक नियमोंको न मानकर, उनपर ‘शरिया’ प्रयुक्त करनेके लिए दबाव बना लेते हैं । ऐसे दोगलोंको राष्ट्रके इन नियमोंको माननेके लिए, केन्द्र शासनद्वारा प्रभावी कार्यवाही की जानी चाहिए । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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