ज्ञानवापी हिन्दुओंकी, वहां बलपूर्वक पढी जा रही है ‘नमाज’ : पू. (अधिवक्ता) हरिशंकर जैन


१९ जून, २०२२
       वाराणसीके ज्ञानवापी ‘मस्जिद’ सहित हिन्दुओंके दर्जनोंके अभियोग लड चुके अधिवक्ता पू. हरिशंकर जैनने कहा कि जिस पूजास्थल विधानके आधारपर जिहादी सुनवाई रोकनेकी मांग कर रहे हैं, वहीं हिन्दुओंका विजयका आधार बनेगा । उन्होंने कहा कि विवादित परिसरमें शिवलिंगका मिलना इस बातको  स्पष्ट करता है कि वहां पूर्वमें मन्दिर था और उसे तोडकर ‘मस्जिद’ बनाई गई है । इसलिए इस ‘मस्जिद’को गिराया जाना चाहिए और मन्दिर हिन्दुओंको सौंप दिया जाना चाहिए ।
       पू. हरिशंकर जैनने कहा कि तलगृहके मध्य आदि विश्वेश्वरका स्थान है और शिवलिंग पूर्वमें यहीं स्थापित था । उन्होंने कहा कि ‘मस्जिद’ अब भी पुराने मन्दिरकी नींवपर खडा है । उन्होंने कहा कि मन्दिरको तोडकर उसपर बलपूर्वक आधिपत्य किया गया और उसके उपरान्त वहां ‘नमाज’ पढी जाने लगी । उन्होंने कहा कि विवादित ढांचा परिसरकी ‘वीडियोग्राफी’ हो चुकी है । इसी बहानेपर शिवलिंगकी भी वैज्ञानिक जांच हो जाएगी और जो लोग इसपर प्रश्न खडा कर रहे हैं, वह भी मौन हो जाएंगे ।
       देहलीके कुतुबमीनार प्रकरणमें अधिवक्ता जैनने कहा कि यहां २७ हिन्दू-जैन मन्दिरोंको तोडकर उनके अवशेषोंसे ‘मस्जिद’का निर्माण किया गया है । इसे ‘कुव्वत-उल-इस्लाम’ नाम दिया गया, अर्थात ‘इस्लाम की ताकत’। उन्होंने कहा कि वह ‘मस्जिद’ नहीं, ‘इस्लामकी ताकत’का प्रतीक है कि देखो हिन्दुओं हम तुम्हारे मन्दिर तोड सकते हैं । इस बातके प्रमाण उपलब्ध हैं कि इस ‘मस्जिद’को २७ मन्दिरोंको तोडनेके उपरान्त बनवाया गया है ।
       ६९ वर्षीय पू. हरिशंकर जैन १९८९ से हिन्दुओंके अभियोग बिना शुल्क लिए लड रहे हैं । गत ३३ वर्षोंमें वह ११० अभियोग लड चुके हैं । इनमें ज्ञानवापी, कुतुबमीनार, ताजमहल, मथुरा, टीलेवाली ‘मस्जिद’ और भोजशाला सहित ७ बडे अभियोग सम्मिलित हैं । उनका साथ उनके अधिवक्ता पुत्र विष्णु जैन देते हैं । उन्होंने कहा कि देशमें जहां-जहां मन्दिर तोडे गए हैं और जिसके प्रमाण हैं, उनकी वह लडाई लडेंगे ।
       उन्होंने कहा कि हिन्दुओंके लिए सभी अभियोग वह अपने व्ययपर लडते हैं । उनकी आयका आधा विधानी प्रक्रियामें ही चला जाता है । जैनका कहना है कि उनके पीछे न कोई संगठन है और न ही वह किसीसे शुल्क लेते हैं । वह अपनी सुरक्षाकी भी मांग नहीं करते; क्योंकि यह एक प्रकारसे प्रतिष्ठाका प्रतीक है । उन्हें यह रुचिकर नहीं है ।
       पू. अधिवक्ता हरिशंकर जैन एवं उनके अधिवक्ता पुत्र अभिनन्दनके पात्र हैं, जो निशुल्क धर्मके सेवा कर रहे हैं । यह पुरातन सत्य है कि ज्ञानवापी मन्दिर है न कि ‘मस्जिद’; किन्तु जिहादियोंने पिछले कई सहस्र वर्षोंसे उसपर बलात आधिपत्य किए हुए हैं । हिन्दुओं संघे शक्ति कलियुगेको चरितार्थ करें और खोए हुए सम्मानको पुन: प्राप्तकर गौरवशाली सनातन संस्कृतिका मान बढाएं । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
साभार : https://www.hindujagruti.org


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