दिसम्बर १६, २०१८
प्रधानमन्त्री मोदीने आज प्रयागराजका (पहले इलाहाबाद) भ्रमण किया । यहां एक रैलीको सम्बोधित करनेके साथ ही उन्होंने बडी घोषणा भी की । इस मध्य उन्होंने ऐतिहासिक अक्षयवटको श्रद्धालुओंके दर्शनके लिए खोलनेका निर्णय किया । साथ ही उन्होंने स्वयं वहां जाकर अक्षयवटके दर्शन किए ।
उन्होंने कहा, ‘आज मैं आप सभीको एक समाचार देने आया हूं, इस बार अर्धकुम्भमें सभी श्रद्धालु अक्षय वटके दर्शन कर सकेंगे । कई पीढियोंसे ये अक्षयवट किलेमें बंद था, परन्तु इस बार यहां आने वाला प्रत्येक श्रद्धालु स्नान करनेके पश्चात अक्षयवटके दर्शनका सौभाग्य भी प्राप्त कर सकेगा ।’
अक्षय वटका पौराणिक इतिहास बताया जाता है । यह अक्षय वट प्रयागमें त्रिवेणीके तटपर आज भी है और कई सहस्रों वर्ष प्राचीन बताया जाता है । पहले यह किलेमें सेनाकी सुरक्षामें था, जिसे कुम्भमें नागरिकोंके लिए खोल दिया जाएगा ।
पौराणिक कथाओंके अनुसार प्रयागमें स्नानके पश्चात जब तक अक्षय वटका पूजन एवं दर्शन नहीं हो, तब तक लाभ नहीं मिलता है । मुगल सम्राट अकबरके किलेके अंदर बने पातालपुरी मन्दिरमें स्थित अक्षय वट सबसे प्राचीन मंदिर बताया जाता है । कहा जाता है कि जब धरती जलमग्न हो गई थी, तो भी यह अक्षय वट डूबा नहीं था !
स्रोत : आजतक
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