नेपालको हिन्दू राष्ट्र बनानेके लिए भारतकी सहायता आवश्यक ! – डॉ. भोलानाथ योगी, हिन्दू विश्वविद्यालय, नेपाल


१७ जून, २०२२
      ‘नेपालमें ९५ प्रतिशत हिन्दू हैं; परन्तु पाश्चात्योंके प्रभावके कारण अब वहांपर ‘टोपी’के स्थानपर ‘टाइ’को महत्त्व दिया जा रहा है । चाकरीके (नौकरीके) निमित्त पश्चिमी देशोंमें जानेके कारण नेपालमें पाश्चात्य सभ्यताका प्रभाव बढ रहा है; इसलिए वहां अब हाथोंसे भोजन करना असभ्य समझा जाता है । पाश्चात्य सभ्यताका प्रभाव बढा है, तो भी नेपाल आज भी भारतीय संस्कृतिसे जुडा है । वर्तमानमें नेपालमें १० सहस्र (हजार) नागरिक भारतके धार्मिक क्षेत्रोंका दर्शन करनेके लिए भारत आते हैं; परन्तु यह सब हिन्दू संगठित नहीं हैं । इसलिए नेपाल साम्यवादी और नास्तिकतावादियोंका ‘अड्डा’ बन गया है । नेपाल सांस्कृतिक दृष्टिसे हिन्दू राष्ट्र ही है; परन्तु संविधानसे मान्यता प्राप्तकर उसका हिन्दू राष्ट्र बनना आवश्यक है । नेपाली जो ‘टोपी’ डालते हैं वह हिमालयका प्रतीक है । नेपालमें चलनेवाले नोटोंपर भगवान गोरखनाथका चित्र है । नेपालमें आज भी ईसाई ‘कैलेंडर’ नहीं चलता है, वहांपर हिन्दू पंचांगका उपयोग किया जाता है । नेपाल धार्मिक दृष्टिसे हिन्दू राष्ट्र ही है । संवैधानिक रूपसे हिन्दू राष्ट्र बननेके लिए हमें भारतसे सहायताकी आवश्यकता है ।’ ऐसा प्रतिपादन नेपालके हिन्दू विश्वविद्यालयके डॉ. भोलानाथ योगीने किया । वह अधिवेशनके छठे दिनके ‘विदेशी हिन्दुओंका रक्षण’ इस सत्रके ‘पाश्चात्य सभ्यताके प्रभावके कारण नेपालमें हिन्दू संस्कृतिकी हो रही हानि’, इस विषयपर बोल रहे थे ।
         डॉ. भोलानाथ योगीजीका वक्तव्य पूर्णतः उचित है । पाश्चात्योंके प्रभावके कारण ही नेपाल जैसे देश भी अपनी संस्कृति और सभ्यताको खोते जा रहे है । अब समय है कि भारतके हिन्दू संगठित हो और नेपाल जैसे हिन्दू राष्ट्रोंकी अधिकाधिक सहायता हेतु तत्पर रहे । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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