जनवरी ३, २०१८
वैश्विक खाद्य और पेय पदार्थ विक्रेता ‘नेस्ले इंडिया’ने उच्चतम न्यायालयमें स्वीकार किया कि उसके सबसे लोकप्रिय एफएमसीजी उत्पाद ‘मैगी’में लेडकी (सीसेकी) मात्रा थी । कम्पनीके अधिवक्ताओंकी इस स्वीकारोक्तिसे शासनकी ‘नेस्ले’से लडाई एक बार पुनः बल पकडेगी ।
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य सुरक्षाके मानदण्डोंको पूर्ण न कर पानेपर गत वर्ष ५५० टन मैगीको नष्ट कर दिया गया था । इसके अतिरिक्त, शासनने दण्डके रूपमें ६४०कोटि रुपयोंकी भी मांग की थी ।
न्यायाधीशने ‘नेस्ले’के अधिवक्तासे कहा उन्हें ‘लेड’वाला ‘नूडल’ क्यों खाना चाहिए ? उन्होंने पहले तर्क दिया था कि ‘मैगी’में ‘लेड’की मात्रा मानक सीमाके भीतर थी, जबकि अब स्वीकार कर रहे हैं कि मैगीमें ‘लेड’ था !!
उल्लेखनीय है कि ख्रिस्त्राब्द २०१५ में मैगीमें ‘लेड’की मात्रा १७.२ पीपीएम पाई गई, जबकि यह ०.०१ से २.५ पीपीएम तक ही होनी चाहिए ! उत्तर प्रदेशके खाद्य सुरक्षा विभागने मैगीके प्रतिदर्श (सैंपल) लिए और इसकी जांच कराई तो ‘लेड’की मात्रा निर्धारित सीमासे अधिक मिली !
इस प्रकरणके पश्चात देशके कई राज्योंने अपने यहां मैगीके विक्रयपर प्रतिफन्ध लगा दिया । भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरणने भी मैगीके सभी प्रारुपको (वर्जंसको) असुरक्षित बताते हुए कम्पनीको इसके निर्माण एवं विक्रयपर प्रतिबन्ध लगा दिया था । ‘एफएसएसएआई’ने उस समय कहा था कि नेस्लेने अपने उत्पादपर स्वीकृति लिए बिना ‘मैगी ओट्स मसाला नूडल्स’ विक्रयके लिए उतार दिया, जोकि वैधानिक रूपसे अवैध है ।
खाद्य सुरक्षाके नियमोंके अनुसार, यदि खाद्य सामग्रीमें ‘लेड’ और ‘मोनोसोडियम ग्लूटामेट’का (एमएसजी) प्रयोग किया गया है तो पैकेटपर इसका उल्लेख करना अनिवार्य है । ‘एमएसजी’से मुख, सिर या गर्दनमें जलन, त्वचाके रोग, हाथ-पैरमें दुर्बलता, सिरदर्द और उदरके रोग हो सकते हैं ।
चिकित्सकोंके अनुसार, अत्यधिक मात्रामें लेडका सेवन गम्भीर स्वास्थ्य रोग उत्पन्न कर सकता है । इससे बौद्धिक रोग, रक्तके प्रवाहमें समस्या और वृक्क (किडनी) रोग हो सकते हैं ।
“एक विदेशी कम्पनी भारतमें आती है और विष विक्रयकर सहस्रों कोटि रूपये बनाती है ! इससे ज्ञात होता है कि खाद्य सुरक्षामें हमारे पास कोई वैधानिक ईकाई है ही नहीं, जो योग्य प्रकारसे जांचकर प्रतिबन्ध कर सकें । आज भी भारतमें सहस्रों खाद्य पदार्थ विक्रय हो रहे हैं, जो स्वास्थ्यके लिए अत्यधिक हानिकारक हैं, परन्तु कोई प्रतिबन्ध न होनेसे विक्रय हो रहे हैं व देशकी एक पीढी तो नष्टप्राय ही हो चुकी है, ऐसेमें उन भ्रष्ट अधिकारीयोंपर प्रश्न चिह्न निर्माण होता है, जिन्हें इसके लिए नियुक्त किया गया ! देशके लोगोंके जीवनसे खेलने वाले ऐसे अधिकारी विधानद्वारा क्या दण्डके पात्र नहीं ? केन्द्र देशके स्वास्थ्यसे खेलने वाली ‘नेस्ले’ कम्पनीको देशसे बाहर करें, ऐसी सभी राष्ट्रवादियोंकी अपेक्षा है ”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : न्यूज १८
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