विष्णुस्तम्भसे (कुतुब मीनारसे) ‘उल्टा गणेश’ और ‘पिंजडेमें गणेश’को राष्ट्रीय सङ्ग्रहालयमें मिले स्थान, ‘एनएमए’ने पत्र लिखते हुए कहा, “परिसरमें ‘मस्जिद’के बाहर पडी हैं प्रतिमाएं ।”


७ अप्रैल, २०२२
      राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरणने (एनएमएने) देहलीमें बने ‘कुतुब मीनार’ परिसरसे भगवान गणेशकी दो प्रतिमाएं हटानेके लिए भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षणको (एएसआईको) पत्र लिखा है ।
       ‘द इंडियन एक्सप्रेस’में छपे समाचारके अनुसार, ‘एनएमए’ने गत माह पुरातत्त्व विभागको एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि गणेशकी दो प्रतिमाएं ‘उल्टा गणेश’ और ‘पिंजडेमें गणेश’को राष्ट्रीय सङ्ग्रहालयमें ‘सम्मानजनक’ स्थान दिया जाना चाहिए, जहां ऐसी प्राचीन वस्तुएं रखी जाती हैं ।
      इन दोनों मूर्तियों को ‘उल्टा गणेश’ और ‘पिंजरे में गणेश’ कहा जाता है। ये १२ वीं शताब्दीके स्मारक परिसरमें स्थित हैं, जिसे १९९३ में ‘यूनेस्को’द्वारा विश्व धरोहर स्थल माना गया था। ‘उल्टा गणेश’ (सिर नीचे पैर ऊपर) परिसरमें मन्दिरोंको तोडकर बनाई गई ‘कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद’की दक्षिणमुखी भित्तिकाका भाग है । दूसरी मूर्ति लोहेके पिंजरेमें बन्द है ।
      ‘एनएमए’के अध्यक्ष तरुण विजयने कहा, “मैंने अनेक बार ‘साइट’का ‘दौरा’ किया और मुझे लगता है कि जहां प्रतिमाओंकी स्थापना की गई है, वह स्थान अपमानजनक है । ‘मस्जिद’में आनेवालों लोगोंके पांवोंके पास ही यह प्रतिमाएं हैं ।” उन्होंने कहा कि जिस प्रकारसे इन प्रतिमाएंको रखा गया है, वह भारतके लिए अवमाननाका प्रतीक हैं और इसमें सुधारकी आवश्यकता है ।
       उक्त मूर्तियोंको सम्मानजनक स्थान देनेके स्थानपर, अतिक्रमित क्षेत्रको मुक्तकर, प्राचीन गौरव लौटानेपर विचार किया जाना चाहिए । ऐसा होनेतक, मूर्तियोंको योग्य स्थानपर तत्काल रखा जाए ! – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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