अगस्त २, २०१८
उच्च न्यायालयके सेवानिवृत्त न्यायाधीशको जामा मस्जिदमें नमाज पढनेसे रोक दिया गया ! सेवानिवृत्त न्यायाधीशने न्यायालयके आदेशपर पुलिसमें जामा मस्जिदके सदर इमाम, नगर काजी सहित चार लोगोंके विरुद्ध प्राथमिकी प्रविष्ट कराई है । आरोप है कि उनको देवबन्दी होनेकी बात कहकर नमाज पढने से मना कर दिया गया था । सेवानिवृत्त न्यायाधीशने सपा शासनके पूर्व मन्त्रिमण्डल मन्त्री हाजी रियाज अहमदपर भी आक्षेप लगाया है । पुलिसने अभियोग प्रविष्ट कर प्रकरणकी जांच आरम्भ कर दी है ।
नगर कोतवाली क्षेत्रके छोटा खुदागंज निवासी सेवानिवृत्त न्यायाधीश मुसफ्फे अहमदने न्यायालयमें लिखित पत्र दिया, जिसमें कहा गया कि छह अगस्त २०१७ को वह ‘मगरीबकी नमाज’ पढनेके लिए नगरकी जामा मस्जिदमें गए थे । नमाज पढनेके पश्चात उन्हें दो लडकोंने रोक लिया और मस्जिदके ‘सदर इमाम’से मिलनेको कहा । उनके विरोध दिखानेके पश्चात भी मस्जिदसे नहीं जाने दिया गया ! इस पर जब वह दोनों लडकोंके साथ ‘सदर इमाम’के पास पहुंचे तो उन्होंने आगे से मस्जिदमें नमाज पढने न आने देनेको कहा ! उनसे कारण पूछनेपर इमामने बताया कि वह देवबन्दी मसलकको (पन्थ) मानने वाले हैं; इसीलिए इस पन्थके लोग यहां नमाज पढने नहीं आ सकते । यह भी चेतावनी दी गई कि यदि यहां नमाज पढने आए तो झगडा हो जाएगा !
सेवानिवृत्त न्यायाधीशने पुलिसको प्रकरणसे अवगत कराया । पुलिसने विवरण प्रविष्ट न कर उनकी दिए वक्तव्यपर जांचकी बात कहकर जाने दिया । इसके बाद सेवानिवृत्त न्यायाधीशने न्यायालयमें लिखित पत्र देकर कार्यवाहीकी मांग की । न्यायालयने प्रकरणको गम्भीरतासे लेकर पुलिसको कार्यवाही करनेके निर्देश दिए । न्यायालयके आदेशपर पुलिस ने ११ माह पश्चात ‘आस्तान-ए-हशमतिया’के मौलाना जरताब रजा खां, जामा मस्जिदके ‘सदर इमाम’ इजहार अहमद बरकाती सहित चारके विरुद्ध विवरण प्रविष्ट कर लिया है । न्यायाधीशने परिवादमें सपा शासनमें मन्त्री रह चुके पूर्व नगर विधायक हाजी रियाज अहमदके संरक्षणमें इस पूरे प्रकरणको परिणाम देनेकी बात भी कही है ।
पीलीभीतके एसपी बालेन्दु भूषण सिंहका कहना है कि न्यायालयके आदेशपर सेवानिवृत्त न्यायाधीशकी ओरसे प्राथमिकी प्रविष्ट की गई है । इसमें जरताब रजा खां और इजाहर अहमद बरकाती व दो अज्ञातके विरुद्ध कार्यवाही की गई है ।
स्रोत : लाइव हिन्दुस्तान
Leave a Reply