जनवरी २९, २०१९
देहलीकी सत्तारुढ आम आदमी पार्टीके ५० से अधिक विधायकोंने सोमवार, २८ जनवरीको अपनी सम्पत्तियों और भुगतानका ब्यौरा लोकायुक्तको देनेसे मना कर दिया और उसके अधिसूचनाके (नोटिसके) उत्तरमें कहा कि यह प्रकरण उसके क्षेत्राधिकारमें नहीं है । भाजपाके विजेंद्र गुप्ता और मनजिंदर सिंह सिरसा तथा आपके निलम्बित विधायक कपिल मिश्राने अपने सम्पत्तियों और भुगतानका ब्यौरा लोकायुक्तको दिया है । शेष विधायकोंको उत्तर देनेके लिए २७ फरवरी तकका समय दिया गया है । आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाजने कहा, ‘‘ऐसा कोई विधान नहीं है, जिसके अन्तर्गत विधायकोंको अपनी सम्पत्तियों और लेन-देनका ब्यौरा लोकायुक्तको देनेकी आवश्यकता है ।’’ इसीके साथ उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र शासनको लोकपाल और लोकायुक्त विधानके अन्तर्गत ऐसा प्रावधान करना चाहिए ताकि सभी सांसदों और विधायकोंके लिए वार्षिक सम्पत्तिका ब्यौरा देना अनिवार्य है और हम उसका समर्थन करेंगें । अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता विवेक गर्गकी परिवादपर लोकायुक्त रेवा खेत्रपालने इस माहके प्रारम्भमें देहलीके विधायकोंको अधिसूचना जारीकर उनकी सम्पत्तियोंका ब्यौरा मांगा था । गत सप्ताह देहली विधानसभाके अध्यक्षने लोकायुक्तसे इसको वापस लेनेके लिए पत्र लिखा था और दावा किया था कि वे लोकपाल एवं लोकायुक्त विधान २०१३ के अन्तर्गत ऐसा करनेके लिए बाध्य नहीं है । गुप्ताने इसपर लोकायुक्तके क्षेत्राधिकारपर प्रश्न उठानेपर आप विधायकोंकी आलोचना की और कहा कि यह संवैधानिक प्राधिकारका खुला उल्लंघन है ।
“यह है सत्यनिष्ठ और परिवर्तनकी राजनीति !! यह हैं देहलीके ‘आम आदमी’ ! एक आन्दोलनसे निकला दल जिसमें ये लोग सब कुछ पारदर्शी करनेकी बात करते थे, आज वे ही यह नहीं करना चाहते हैं । वस्तुतः भ्रष्टाचार दलोंकी एक-एक नसमें जा चुका है कि कोई भी दल ऐसा कर ही नहीं सकता है ! यदि किसीने किया तो चनकी कुर्सी ही चली जाएगी ! एक ओर भ्रष्टाचार तो दूसरी ओर नेताओंका कुर्सी प्रेम, देश मुक्त हो तो कैसे ? अब केवल हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना ही एकमात्र समाधान है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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