फरवरी २५, २०१९
पुलवामा आक्रमणमें प्रयोग वाहनके स्वामीका अभिज्ञान कर लिया गया है । राष्ट्रीय अन्वेषण विभागने ‘फोरेंसिक’ और ‘ऑटोमोबाइल’ विशेषज्ञोंकी सहायतासे १४ फरवरीको हुए फिदायीन आक्रमणमें प्रयोग वाहनका अभिज्ञान किया था । प्राप्त जानकारीके अनुसार इस मारूति इको वाहनके स्वामीका नाम सज्जाद भट है, जो दक्षिण कश्मीरके अनंतनाग जनपदमें स्थित बिजबेहडा गांवका रहने वाला है । इस घटनाके पश्चात कुछ प्रत्यक्षदर्शियोंके सन्दर्भसे जानकारी मिली थी कि वाहन लाल रंगका था । घटनास्थलसे कारके ‘शॉकर’के टुकडे भी मिले थे, जिनकी सहायतासे जांचका प्रयास किया जा रहा था ।
अन्वेषण विभागके अनुसार सज्जाद कथित रूपसे ‘जैश-ए-मोहम्मद’में सम्मिलित हो गया है । प्राप्त जानकारीके अनुसार सज्जादका हाथमें शस्त्र लिए चित्र सामने आया था । बताया जा रहा है कि उसके वाहनमें लगभग २०-२५ लीटरका एक ‘जैरीकन’ मिला था, जिसमें लगभग ३० किलो ‘आरडीएक्स’ पैक कर रखा था । इस आक्रमणमें ‘सीआरपीएफ’के ४० सैनिक हुतात्मा हो गए थे । आक्रमणमें प्रयोग वाहन २०११-१२ की बताई जा रही है, कुछ समय पहले ही उसे पुनः ‘पेंट’ करानेकी बात भी सामने आई है । यह विस्फोट इतना भयावह था कि पूरी बसके परखच्चे उड गए थे ! सभी सैनिकोंकी वहीं ही मृत्यु हो गई थी । वहीं वाहनके टुकडे लगभग २०० मीटर दूर तक जा गिरे थे !
पुलवामामें १४ फरवरीको हुए आतंकी आक्रमणको लेकर सेना और ‘सीआरपीएफ’ने साझा प्रेस वार्ता की । सेनाने कहा कि जो बंदूक उठाएगा, मार दिया जाएगा । सेनाने कश्मीरकी महिलाओंसे याचिका की कि वे अपने युवा पुत्रोंको समझाएं !
प्राप्त सूचनाके अनुसार सज्जाद शोपियां स्थित ‘सिराज-उल-उलूम’का छात्र था । अन्वेषण विभागने २३ फरवरीको उसके घरपर छापा मारा था; परन्तु उस समय सज्जाद घर पर नहीं था । यह वाहन २०११ में अनंतनागकी हेवन कॉलोनीके निवासी मोहम्मद जमील हक्कानीको विक्रय किया गया था । यह वाहन सातबार विक्रय किया गया था और अन्तमें सज्जाद भटके पिता मोहम्मद मकबूलने आक्रमणसे १० दिवस पूर्व ही क्रय किया था ।
“आरोपी भट्ट ‘सिराज-उल-उलूम’का छात्र था अर्थात लडकोंका इस्लामिक विद्यालय, जो शोपियांमें स्थित है । मुस्लिम नामके विश्वविद्यालय, विद्यालय, मदरसे आतंकियोंके लिए महत्वपूर्ण आधार बन रहे हैं, हम यह क्यों नहीं समझ रहे हैं ? माताएं तो बच्चोंको समझा भी देंगीं; परन्तु युवावस्थामें उसे जो बाहर सिखनेको मिलेगा, जो उसके मित्र करते हैं, वही वह करता है, इस बातको भूलना नहीं चाहिए; अतः यदि हमें आतंकवाद समाप्त करना है तो मदरसों आदिको बन्दकर सभी मुस्लिम युवाओंको मुख्य धाराके विद्यालयोंमें ही शिक्षा देनी होगी ! यह कटु सत्य है, फिर इसे कोई धार्मिक असमानता अथवा असहिष्णुता कुछ भी नाम दें !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जनसत्ता
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