अगस्त ६, २०१८
अनम आगा एक मीठी सी मुसकुराहटके साथ कक्षाके सभी बच्चोंसे हाथ मिलती हैं । जब वो अपनी धीमी आवाजमें ‘अस्सलामु अलैकुम’ कहती हैं तो इस अभिवादनका उत्तर तेज ध्वनिमें ‘जय श्रीराम’से मिलता है ! पाकिस्तानके हिन्दू मन्दिरमें स्थित इस विद्यालयका आरम्भ प्रत्येक दिवस इसी प्रकार होता है ।
अनम यहां गत वर्ष पढानेके लिए आईं । उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो अल्पसंख्यक समुदायके मन्दिरमें प्रत्येक दिवस जाएंगी । यद्यपि वहां अध्यापक बननेके पश्चात अब वह ऐसा प्रतिदिन करती हैं । उन्हें कराचीके रहमान कालोनीमें हिन्दू मन्दिरमें पढानेके लिए मार्च २०१७ में सन्धि मिली । उन्होंने इसको स्वीकार कर लिया । उन्होंने कहा, ‘एक मुस्लिम अध्यापिका होनेके कारण यह मेरे लिए सम्मानकी बात थी कि हिन्दू समुदायके लोगोंने अपने बच्चोंको पढानेके लिए मुझे चुना !’
मन्दिरमें इस विद्यालयकी स्थापना ‘इनीशिएटर ह्यूमन डेवलपमेंट फाउण्डेशन’ने (आईएचडीएफ) की है, जो गरीब बच्चोंको शिक्षित करनेका कार्य करती है । गत वर्ष इस विद्यालयमें हिन्दू विद्यार्थियों और उनकी मुस्लिम अध्यापिकाने साथ में होली, रक्षा बन्धन, दीवाली और अन्य त्यौहार साथमें मनाए । अनम कहती हैं कि धार्मिक भेदभावको तब तक दूर नहीं किया जा सकता, जबतक कि हम एक दूसरेका सम्मान न करें ।
मन्दिरके सेवक रूपचन्दने कहा कि हिन्दू मन्दिर मानवताकी सेवा करता है और यहां सभीका स्वागत है । उन्होंने कहा कि हिन्दू मन्दिरमें एक मुस्लिम अध्यापकका पढाना हमारी धार्मिक विविधताका उदाहरण है । उन्होंने बताया कि यहां विद्यालय खोलनेमें भी बहुत परेशानीका सामना करना पडा; लेकिन अन्तमें उन्हें सफलता मिली । उन्होंने कहा कि विद्यालय खोलनेके लिए हिन्दू समुदायके पास और कोई स्थान नहीं था; इसलिए मन्दिरमें ही विद्यालय खोलनेका निर्णय किया ।
स्रोत : जी न्यूज
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