जगन्नाथ मन्दिरके विषयमें असत्य प्रसारित करनेपर देवदत्त पटनायकके विरुद्ध पुरीमें परिवाद प्रविष्ट


१४ जनवरी, २०२१
छद्म ‘माइथोलॉजी’ विशेषज्ञ देवदत्त पटनायकके विरुद्ध ओडिशाके भुवनेश्वर जनपदमें परिवाद प्रविष्ट कराया गया है । पटनायकके विरुद्ध यह परिवाद (शिकायत) ओडिशाके पुरी जगन्नाथ मन्दिरके विषयमें असत्य प्रसारितकर हिन्दू समाजमें जातिके आधारपर विभाजनको लेकर किया गया है । कार्यकर्ता अनिल बिस्वालने पुरीके भगवान जगन्नाथके विरुद्ध असत्य व अपमानजनक ‘ट्वीट’ करने व जगन्नाथ भक्तोंकी धार्मिक भावनाओंको आहत करनेपर भुवनेश्वरके पुलिस स्टेशनमें उनके विरुद्ध यह परिवाद प्रविष्ट करवाया है । उनका कहना है कि पटनायक जानबूझकर जगन्नाथ मन्दिर व हिन्दू परम्पराओंको अपमानित करनेका प्रयास कर रहे हैं । उसके ऐसा पुनः-पुनः करनेका इतिहास भी है । उन्होंने यह भी कहा कि श्रीजगन्नाथ मन्दिरमें किसी भी हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिखके प्रवेशपर कोई प्रतिबन्ध नहीं है; परन्तु स्वघोषित ‘माइथोलॉजीस्ट’ पटनायकने कहा कि दलित जातिके व्यक्तियोंको मन्दिरमें प्रवेशकी अनुमति नहीं है । वहीं मन्दिरमें सेवा देनेवालोंकी एक बडी सङ्ख्या ब्राह्मण नहीं है । उन्होंने अपने परिवादमें धार्मिक भावनाओंको आहत करनेके लिए ‘आईपीएस’की धारा २९५ए, ५००, ५०५ व ‘आईटी’ अधिनियम धारा ६७ के अन्तर्गत कार्यवाही करनेका अनुरोध किया है । उल्लेखनीय है कि देवदत्त पटनायकका सामाजिक जालस्थलद्वारा लोगोंपर अभद्र भाषामें टिप्पणी करनेका इतिहास भी है । वह नित्य प्रतिदिन हिन्दू मान्यताओंको लेकर असत्य प्रसारित करते हैं । ऐसी अनेक उदाहरण हैं, जब इस तथाकथित विशेषज्ञने असभ्य टिप्पणी’ व अभद्र भाषाका उपयोग किया है । हिन्दू ‘फोबिया’से ग्रसित देवदत्त पटनायकको सामाजिक जालस्थलपर लोगोंद्वारा देवदत्त ‘नालायक’ कहकर भी पुकारा जाता है । अपने पिछले ‘ट्विट’में उन्होंने भगवान हनुमानका भी उपहास किया था ।

         पाकिस्तान जैसे राष्ट्रोंमें ईशनिन्दा  करनेपर कठोर दण्डका प्रावधान है; परन्तु यह भारत भूमि ही है, जहां ऐसे कथित बुद्धिजीवी हिन्दू देवी-देवताओंके अपमान जैसे कुकृत्य सतत करते हैं । अब समय आ गया है कि हम इन धर्म विरोधियोंका पूर्ण विरोध करते हुए समाजमें इनका सत्य उजागर करें और शासनसे ऐसे कुकृत्योंपर दण्डविधान बनानेकी मांग करें ! – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ

स्रोत : ऑप इंडिया



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