फरवरी १३, २०१९
जम्मू कश्मीरकी पूर्व मुख्यमन्त्री और ‘पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ अध्यक्षा महबूबा मुफ्तीने एकबार पुनः आतंकी अफजल गुरुके लिए विवादित वक्तव्य देते हुए कहा कि अफजल गुरुको फांसी नहीं होनी चाहिए थी !
एक सामूहिक वार्ताके मध्य महबूबा मुफ्तीने कहा कि अफजलकी फांसी रोकनेके लिए हमने राष्ट्रपतिको पत्र लिखा था । इतना ही नहीं मुफ्तीने भारतकी संसदपर आक्रमण करनेवाले अफजल गुरुके शरीरके अवशेषको कश्मीरमें वापस लाए जानेकी भी मांग की है । इससे पूर्व भी कई अवसरोंपर पूर्व मुख्यमन्त्रीने कहा है कि पीडीपी और उनकी मांग है कि अफजलके अवशेषको उसके परिजनोंको अन्तिम संस्कारके लिए सौंप दिया जाए ।
कुछ दिवस पूर्व राज्यसभामें पीडीपीके सांसद मीर मोहम्मद फयाजने भी अफजल गुरुका महिमामण्डन किया था । उन्होंने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीको इस सम्बन्धमें एक पत्र भी लिखा था, जिसमें उन्होंने अफजल गुरु और अलगाववादी संगठन ‘जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’के संस्थापक मकबूल बटके अवशेष लौटानेकी मांग की है । आगे उन्होंने शासनके निर्णयपर बोलते हुए कहा कि फांसी और उसके शरीरको अभीतक वापस न देनेका तत्कालीन शासनका निर्णय न केवल दुखद है, वरन सबसे बडे लोकतन्त्रपर धब्बा है । यह एक असंवैधानिक पग था ।
“जिसप्रकार महबूबा मुफ्ती प्रायः आतंक समर्थक वक्तव्य दे रही हैं, उससे इसे केवल एक राजनीतिक विवशता कहकर नहीं टाला जा सकता है । इनके वक्तव्य किसी आतंकीसे अल्प विषैले नहीं हैं कि अब इन्हें अफजल गुरुमें भी एक देवदूत दिखाई देता है ! क्या ऐसे राष्ट्रद्रोही व आतंकी समर्थक इस देशमें रहने योग्य हैं ?, स्वयं विचार करें !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : पत्रिका
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