अगस्त १०, २०१८
पशुओंके हितोंके लिए कार्य करने वाली संस्था ‘पेटा’ने सभी राज्य शासनको पत्र लिखकर मांग की है कि बकरीदके अवसरपर होने वाले पशुओंकी अवैध प्रकारसे बलिको रोका जाए ! ‘पेटा’ने कहा है कि पशुओंका वध केवल अनुमति पत्रक (लाइसेंस) वाली वधशालामें ही होना चाहिए ।
‘पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेण्ट ऑफ एनिमल्स’ने सभी राज्योंके मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशक, और पशुधन विभाग सहित कई अन्य विभागोंको पत्र लिखकर यह अनुरोध किया है कि बकरीदसे पूर्व पशुओंके अवैध व्यापार और हत्याओंको रोकनेके लिए सभी सम्भव कदम उठाए जाएं ।
पेटाने एक वक्तव्यमें कहा, ‘राज्य शासनका यह कर्तव्य है कि देशके पशु संरक्षण विधानको लागू करें और इसका पालन कराएं ! ‘पेटा’की यह मांग है कि सभी जानवरोंके कटनेपर रोक लगाएं !’
‘पेटा इण्डिया’ने कहा है कि मांसके लिए पशुओंकी हत्या और उनकी बलिसे सम्बन्धित दो प्रकरणपर १७ फरवरी, २०१७ और १० अप्रैल २०१७ के आदेशकेद्वारा उच्चतम न्यायालयने कहा था कि पशुओंका वध केवल आधिकारिक अनुज्ञापत्र (लाइसेंस) वाले वधशालामें ही किया जा सकता है; इसलिए नगर निगमोंको इस आदेशका पालन कराना ही होगा ! पशुओंकी हत्या और बलि ‘पशुओं के प्रति क्रूरता नियम, २००१’, ‘खाद्य सुरक्षा एवं मानक रेगुलेशन, २०११’के भी विरूद्ध है । ‘खाद्य सुरक्षा एवं मानक रेगुलेशन, २०११’के अनुसार मांसके लिए ऊंटकी हत्या पर रोक है, जबकि बकरीदके समय इनकी भी बलि दिए जानेका चलन है ।
‘पेटा’ने लोगोंसे अनुरोध किया है कि धार्मिक समारोहके नामपर जानवरोंकी हत्या न करें ! ‘पेटा’ने कहा है कि त्यौहारके मध्य पशुओंकी ढुलाईमें ‘पशु परिवहन नियम, १९७८’का भी उल्लंघन किया जाता है ।
स्रोत : आजतक
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