बनिहाल आक्रमण उजागर हुआ, पुलवामाकी भांति आक्रमण करनेके असफल प्रयासमें पीएचडी साक्षर सहित ६ बन्दी बनाए !!


अप्रैल ३०, २०१९


‘सीआरपीएफ’ दलपर हुए आक्रमणका प्रकरण सुलझा लिया गया है । ‘जमात-ए-इस्लामी’के छात्र गुटने यह आतंकी घटना की थी और इसका षडयन्त्र पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन ‘हिज्बुल मुजाहिद्दीन’ और ‘जैश-ए-इस्लामी’ने रचा था । राज्य पुलिसने इस प्रकरणमें एक साक्षर शोधकर्ता (रिसर्च स्कॉलर) सहित ६ आतंकियोंको बन्दी बनाया है । सभी आतंकियोंको ‘एनआईए’को सौंपनेकी तैयारी की जा रही है । पीएचडी हिलाल अहमद मंटू बठिंडाके केन्द्रीय विश्वविद्यालयमें पढता है । वह जमातके छात्र विभागका सदस्य है । जम्मूके आईजी एमके सिन्हाने प्रकरणको सुलझानेका दावा करते हुए बताया कि ३० मार्चको बनिहालमें पुलवामा जैसा कार विस्फोट करके ‘सीआरपीएफ’ कॉनवायपर आक्रमण करनेका प्रयास किया गया । अगले ही दिवस पुलिसने इस वाहनको विस्फोट करनेवाले ओवेस अमीन नामके आत्मघाती आक्रान्ताको पकड लिया था ।

बनिहालमें भी पुलवामा आक्रमणकी भांति ही बडी क्षति पहुंचाए जानेकी योजना थी; परन्तु आतंकी सफल नहीं हो पाए । इस षडयन्त्रके पीछे पाकिस्तानी आतंकी मुन्ना बिहारीका नाम सामने आया है । प्रकरणकी तीव्र जांचके लिए सतर्क पुलिसने विशेष जांच दलका गठनकर दक्षिण कश्मीरके उमर शफी, शोपियां निवासी आकिब शाह, शाहिद वानी और पुलवामा स्थित चकोराका रहनेवाला वसीम अहमद डारको पकडा । पुलिसके अनुसार, मुन्ना बिहारी और हिज्बुल आतंकी रियाज नायकुके कहनेपर रईस और उमरने ओवेसको आत्मघाती आक्रमणके लिए सज्ज किया था । इन्होंने मिलकर पुलवामाकी भांति ही वाहनको सज्ज किया और वाहनमें विस्फोटक भी कर डाला । वाहन कहांसे लाया गया और आतंकियोंने विस्फोटक कहांसे क्रय किया ?, इस बारेमें अभीतक कुछ उजागर नहीं हुआ है ।

इस बार आतंकी संगठनोंने चतुराईसे काम लिया था । आक्रमण करनेके लिए ऐसे लोगोंका चयन किया गया, जिनके विरुद्ध कोई प्राथमिकी प्रविष्ट नहीं थी । पुलिसकी शंकासे बचनेके लिए ऐसे आतंकियोंको इस षडयन्त्रमें सम्मिलित नहीं किया गया, जो पहलेसे सुरक्षा विभागकी दृष्टिमें थे । बनिहालमें आक्रमण करनेसे पूर्व २६ मार्चको भी आतंकियोंने इसीप्रकारका प्रयास किया था; परन्तु असफल रहे; क्योंकि विस्फोट हुआ ही नहीं ।

‘जमात-ए-इस्लामी’ कश्मीरमें सशक्त प्रभाव रखता है और इसने १९७१ के पश्चात कुछ चुनावोंमें भी भाग लिया था । राज्यमें पृथकतावादी विचारधाराके प्रचार-प्रसारमें लगे ‘जमात’पर गृह मन्त्रालयने २०१९ में ५ वर्षोंका प्रतिबन्ध लगा दिया था ।

गृह मन्त्रालयको पक्की सूचना और साक्ष्य मिले थे कि ये संगठन जम्मू कश्मीरमें आतंकियोंको कई सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है । बन्दी आतंकियोंने कश्मीरमें युवाओंको भ्रमित करने और धर्मके नामपर भडकानेकी बात स्वीकार की है । ३० मार्चको बनिहालमें हुए आक्रमणमें सीआरपीएफका वाहन क्षतिग्रस्त हो गया था और सैनिकोंको भी चोटें आई थीं । आतंकियोंद्वारा विस्फोटकोंसे भरे सैंट्रो वाहनको जम्मूसे श्रीनगर ले जाते समय उडा दिया गया था । जिस वाहनमें विस्फोट हुआ, उसके चालकको भी बन्दी बना लिया गया था ।

 

“पीएचडी साक्षर भी आतंकी घटनामें सम्मिलित था, यह प्रकरण स्पष्ट करता है कि आतंक और जिहादका निर्धनता, असाक्षरता और उत्पीडनसे कोई लेना-देना नहीं है, जैसाकि वामपन्थी और तुष्टिकरण करनेवाले राजनेता चिल्लाते हैं, इसका कारण तो जिहाद और इस्लामिक शिक्षा है, जो काफिरोंको नष्ट करनेका आदेश देती है । अब समय आ गया है कि जिहादीको भूला-भटका या दबा-कुचला युवक न कहकर जिहादी ही कहा जाए और उसे आतंकी मानकर फांसीतक पहुंचाया जाए । विश्वके सभी देश ऐसे जिहादियोंपर कार्यवाही कर रहे हैं और हम भारतमें इन्हें आक्रोशित, पीडित कहकर रक्षण करते हैं और एक हाथमें कुरान और कम्प्यूटर देनेकी बातें करते हैं, जबकि कम्प्यूटर देकर भी जिहादी सूचना एकत्रकर बम ही बनाएगा, पीएचडी साक्षर आतंकी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, यह हमारे लिए लज्जाका विषय है । आतंकियोंको अपना बच्चा बतानेवाला और उनका रक्षणकर स्वयंकी हानि करनेवाला भारतके अतिरिक्त और कौनसा राष्ट्र होगा, यह स्वयं विचार करें ! ”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : ऑप इण्डिया



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