केरलमें पादरीने पहनी सैनिककी वेशभूषा, सैनिकोंको देंगेंं ईसाईयतका उपदेश !!


मई ७, २०१९


केरलके कोच्चिके साइरो-मालाबार गिरिजाघरके पादरी जिस जोस किजाक्केल शीघ्र ही एक नूतन उत्तरदायित्वमें होंगें । वह १९ धर्म गुरुओंमेंसे हैं, जिन्हें ४ मईको पुणेमें ‘नैशनल इंटिग्रेशन इंस्टिट्यूट’में कनिष्ठ प्रमाणित (कमीशंड) अधिकारीके रूपमें नियुक्त किया गया । फादर किजाक्केल सैनिकोंको बाइबिलका ज्ञान देंगें, साथ ही उन्हें और उनके परिवारको उपदेश देनेके साथ धार्मिक कार्यक्रममें सहायता करेंगें । वह अपने दलमें सभी धार्मिक कार्यक्रम और त्यौहार भी मनाएंगें ।


उन्होंने बताया, “मैं पादरी बननेकी प्रक्रिया पूर्ण करनेके पश्चात कुछ भिन्न करना चाहता था । जब मुझे ‘यूपीएससी’ जालस्थलपर भारतीय सेनामें धार्मिक गुरुके पदके बारेमें ज्ञात हुआ तो मैंने अपने मित्रोंसे इसपर चर्चा करनेके पश्चात आवेदन किया ।’ उन्होंने २०१८ में शारीरिक परीक्षण और चिकित्सीय परीक्षण पूर्ण किए । इसके पश्चात प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार पास करनेके पश्चात उनका चयन हुआ ।


भारतीय सेनामें ७ सप्ताहतक शारीरिक परीक्षण और ११ सप्ताह सभी धर्मोंके सिद्धान्त, शिक्षा और अनुष्ठानके परीक्षणके पश्चात नायब सूबेदारके पदके लिए अधिकृत किया जाता है । उन्होंने बताया, “एक पादरीके लिए एकमात्र यही चाकरी केन्द्र शासनकी ओरसे दी जाती है ।” वह आगे कहते हैं, “मेरा मानना है कि सभी धर्मोंको अच्छाई और भलाईके प्रचार करनेके लिए आगे आना चाहिए ।” वह कहते हैं कि वह देवदूत बननेके साथ-साथ देशके लिए कुछ करना चाहते थे ।


फादर किजाक्केलने बताया कि वह सैनिकोंके कार्यको लेकर दबाव और चिन्तासे अवगत हैं । वह आगे कहते हैं, ‘इसकेद्वारा वह एक ही समयमें पादरी और सैनिक दोनों हो सकते हैं, जो एक ही समयमें देश और भगवानके लिए कार्य करेगा ।’ ३१ वर्षीय पादरीने कहा, “एक धार्मिक गुरुका लक्ष्य उस दलमें राष्ट्रीय एकीकरण, धार्मिक और क्षेत्रीय सद्भाव सुनिश्चित करना है, जिसके लिए वह नियुक्त किया गया है ।”

 

 

“अच्छा है कि पादरी देशके लिए सेवा करना चाहते हैं; परन्तु ईसाईयतका ज्ञान देना अर्थात सीधा-२ धर्मान्तरणको आमन्त्रण देना । एक पादरी तो ऐसा नहीं है आज हिन्दुस्तानमें, जो जीससके नामपर लोगोंको गिरिजाघरोंकी ओर आकर्षित नहीं करता हो, ऐसेमें ये कुछ भिन्न करेंगें, इसकी आशा अत्यल्प है । पहले ही धर्मान्तरणके कोढसे हिन्दुस्तान ग्रस्त है । ईसाई और धर्मान्ध धर्मान्तरणके नूतन ढंग खोजकर लाते रहते हैं; अतः प्रशासन यह सुनिश्चित करें कि वे क्या ज्ञान दे रहे हैं और कहीं कोई धर्मपरिवर्तन तो नहीं कर रहा है, यही उचित होगा ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : नभाटा



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