प्याज (संस्कृत नाम – पलाण्डुः, यवनेश्ट, मुखदूशक; अंग्रेजी नाम – Onion; अन्य नाम – कांदा, डूंगरी) एक वनस्पति है, जिसका कन्द शाकके रूपमें प्रयोग किया जाता है । इसके पत्ते पतले, लम्बे और सुगंधराजके पत्तोंके आकारके होते हैं । भारतमें महाराष्ट्रमें प्याजकी कृषि सबसे अधिक होती है । प्याज भारतसे कई देशोंमें निर्यात होता है, जैसे कि नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, इत्यादि । प्याजकी कृषि कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश जैसे स्थानोंपर भिन्न-भिन्न समयोंपर होती है । प्याज मूलतः प्रत्येक भारतीय शाकमें स्वाद बढानेके लिए तडकेके रूपमें प्रयोग किया जाता है । इसकी गंध अधिक उग्र और अप्रिय होती है, जिसके कारण इसका अधिक व्यवहार करनेवालोंके मुख और कभी-कभी शरीर या स्वेदसे भी दुर्गन्ध निकलती है; इसलिए हिन्दुओंमें इसके भक्षणकी अति निषेध है । वैद्योंके अनुसार, इसके गुण प्रायः लहसुनके समान ही हैं । प्राचीन कालसे प्याजको उपचारात्मक मूल्यके लिए जाना जाता है । हैजा और प्लेगकी महामारीके समय प्याजको ऐतिहासिक रूपसे एक निवारक औषधिके रूपमें प्रयोग किया गया था ।
घटक – इसमें प्राकृतिक चीनी, ‘विटामिन-ए, बी-६, सी और ई’, ‘सोडियम’, ‘पोटैशियम’, लोहा, ‘कैल्शियम’, ‘मैग्नीशियम’, ‘मैंगनीज’, ‘फॉस्फोरस’, ‘जिंक’ और आहार फाइबर जैसे खनिज सम्मिलित हैं । यह ‘फोलिक अम्ल’का भी एक अच्छा स्रोत है ।
प्याजकी प्रकृति – इसकी प्रकृति ठंडी होती है; अतः ग्रीष्म ऋतुमें अधिक व्यंजनोंमें प्रयोग किया जाता है । इसका सेवन शरीरको ठंडा रखनेमें सहायक है ।
प्याजके प्रकार – मूलत: प्याजमें श्वेत प्याज, लाल प्याज, भूरे प्याज, हरे प्याज एवं लीक प्याज (पत्तोंवाला प्याज) होते हैं। लाल प्याज मुख्यतः शाकमें तडका लगानेके लिए प्रयोग होता है और श्वेत प्याज, हरा प्याज, लीक प्याज मुख्यतः कच्चा खानेके लिए प्रयोग होते हैं ।
भिन्न प्रकारके प्याजके मुख्य गुण – हरे प्याजमें मुख्य रूपसे ‘विटामिन-ए और सी’ मिलते हैं, जिसके कारण इसमें ऑक्सीकरणरोधी तत्त्व होते हैं । भूरे प्याजमें प्रज्वलनरोधी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं । लाल प्याज मुख्यतः कर्करोग विरोधी एवं हृदयके लिए लाभप्रद होते हैं । श्वेत प्याजमें ‘सल्फर’ और ‘फाइबर’ प्रचुर मात्रामें होते हैं । लीक प्याजमें मुख्यतः ‘विटामिन बी-६’, ऑक्सीकरणरोधी एवं कर्करोग विरोधी तत्त्व होते हैं ।
प्याजके विषयमें कुछ और तथ्य व इसके लाभ अगले लेखमें जानेंगें ।
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