आयुर्वेद अपनाएं स्वस्थ रहें ! (भाग – २५.२)


कल हमने प्याजके विषयमें जाना था, आज हम इसकी सेवन विधि व कुछ लाभके विषयमें जानेंगें –
सेवन विधि –
१. प्याजको बिना पकाए, कच्चा ही सलादके रूपमें खाया जा सकता है, इसमें नींबू व काला नमक मिलाकर खाया जा सकता है । श्वेत प्याज और हरा प्याज कच्चे खानेके लिए उत्तम माने गए हैं ।
२. प्याजका प्रयोग सूपमें भी किया जाता है ।
३. शाकको अधिक स्वादिष्ट बनानेके लिए प्याजका उपयोग तडकेके रूपमें किया जाता है ।
४. प्याजका प्रयोग अचार बनानेके लिए भी किया जाता है ।
५. पुलाव बनानेमें भी प्याजका प्रयोग होता है ।
६. प्याजके पकौडे भी बनाकर खाए जाते हैं ।
७. किसी भी प्रकारकी चटनीको स्वादिष्ट बनानेके लिए प्याजका उपयोग होता है ।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि शाक, सूप, पुलाव, चटनी व अचार आदिमें लाल प्याजका ही प्रयोग किया जाता है ।
आइए, अब प्याजसे होनेवाले लाभके विषयमें जानते हैं –
* मौखिक स्वास्थ्यके लिए : प्याजमें ‘थियोसल्फिनेट्स’ और ‘थियोसल्फोनेट्स’ होते हैं, जो दांतोंको खराब करनेवाले विषाणुओंको न्यून करनेमें सहायता करते हैं । प्याजको कच्चा खाना उत्तम माना जाता है; क्योंकि पकानेके पश्चात इनमें विद्यमान कुछ लाभप्रद यौगिक नष्ट हो जाते हैं । प्याजमें ‘विटामिन-सी’ होता है, जो दांतोंको स्वस्थ रखनेमें सहायता करता है । ऐसा भी माना जाता है कि प्याज दांतोंकी वेदनाको न्यून करता है । प्याजका उपयोग प्रायः दन्त-क्षय और मुखके संक्रमणको रोकनेके लिए किया जाता है । कच्चे प्याजको २ से ३ मिनट चबानेसे मुखके क्षेत्रके साथ-साथ गले और होंठके आसपासके स्थानोंमें विद्यमान रोगाणुओंको सम्भावित रूपसे नष्ट किया जा सकता है ।
* प्रतिरक्षा प्रणालीको सशक्त बनानेमें : प्याजमें अधिक मात्रामें ‘फाइटोकेमिकल्स’ उपस्थित होते हैं, जो शरीरके भीतर ‘विटामिन-सी’की वृद्धिका कार्य करते हैं । शरीरका रक्षा तन्त्र इसकी प्रतिरक्षा प्रणाली है और एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली शरीरको विषाणुओं, कवक और ‘वायरल’ संक्रमणके कारण होनेवाले रोगोंसे बचाती है । जब आप प्याजका सेवन करते हैं तो आपके शरीरमें ‘विटामिन-सी’की मात्रा बढ जाती है, जिसके कारण प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्त हो जाती है; क्योंकि ‘विटामिन-सी’ प्रतिरक्षा प्रणालीको विषाक्त पदार्थों और विभिन्न प्रकारके बाहरी हानिकारक तत्त्वोंसे बचाता है । ये विषाक्त पदार्थ और बाहरी हानिकारक तत्त्व, रोगोंका कारण बन सकते हैं; अतः प्याज एक सशक्त प्रतिरक्षा प्रणाली बनानेमें सहायता करता है ।
* हृदयके लिए : प्याजमें ‘क्वार्सेटिन’ होता है, जिसमें हृदय रोगोंसे लडनेकी क्षमता होती है । यह आक्सीकरणरोधी और प्रज्वलनरोधी, दोनों गुण प्रदान करता है, जो हृदय स्वस्थ रखनेमें सहायक हैं । प्याज शरीरमें रक्तको जमनेसे रोकनेका कार्य करता है; इसलिए प्याजको ‘ब्लड थिनर’ भी कहा जाता है । यह लाल रक्त कोशिकाओंको एक स्थानपर एकत्र होकर जमनेसे रोकता है, इनके एकत्र होनेके कारण धमनियां बन्द हो सकती हैं । धमनियोंके बाधित होने और रक्तके थक्कोंके कारण हृदय विकार या हृदय रोग हो सकते हैं । इसके साथ-साथ यदि प्रतिदिन प्याज उपयोग करते हैं तो प्याज रक्तवसाको (कोलेस्ट्रॉलको) अल्प या पूर्णतया समाप्त भी कर सकता है ।
कल हम प्याजसे होनेवाले कुछ अन्य लाभके विषयमें जानेंगे ।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution