जनवरी १३, २०१९
राहुल गांधीके दो दिवसीय दुबई यात्रापर एक १४ वर्षीय लडकीने उनसे कुुुछ ऐसे प्रश्न किए, जिसके कारण उन्हें लज्जित होना पडा ।
राहुल गांधीने कांग्रेस अध्यक्ष बननेके पश्चात दो दिवसोंके लिए दुबई यात्रा की । दुबईके उपराष्ट्रपति और शासक शेख मोहम्मद बिन राशिदसे मिलनेके पश्चात, राहुल गांधीने एक अधिवेशनमें भाग लिया, जिसमें वहां रहनेवाले भारतीयोंने भाग लिया । उन्होंने भीडको सम्बोधित किया और जनताके प्रश्नोंके उत्तर देनेके लिए आगे आए ।
इसी अधिवेशनमें १४ वर्षीय एक लडकीने अपना हाथ उठाया । उसके प्रश्न करते ही सबके कान खडे हो गए ! लडकीका प्रथम प्रश्न यह था कि राहुल गांधी, जो जाति भेदको नकारनेके बारेमें बोलते हैं, उन्होंने गुजरातमें अपने माथेपर राख लगाते हुए हिन्दू धर्मको अपनाया; परन्तु कश्मीरकी यात्रापर जाली टोपी (पारम्परिक टोपी, जिसे मुस्लिम पहनते हैं) पहनी । इसके उत्तरमें राहुल गांधीने कहा कि उनका उद्देश्य सभी धर्मोंके साथ समान व्यवहार करना रहता है ।
लडकीद्वारा पूछा गया दूसरा प्रश्न सबको अचम्भित करनेवाला था । उसने पूछा, “कांग्रेस कई दशकोंतक भारतमें शासन चलानेकी बात को गर्वसे बताती है; परन्तु लोक कल्याण और विकास, जो तब नहीं मिला, क्या वो अब किया जाएगा ?”
इसका सामना करनेमें असमर्थ, राहुल गांधीने इसे एक मुस्कानके साथ अस्वीकृत कर दिया, जैसे कि वो सदैव करते हैं । दुबईके सूत्रोंके अनुसार, इस सीधे प्रसारणको कांग्रेसने एकाएक काट दिया था ।
लडकीने कहा कि प्रधानमन्त्री मोदीके सत्तामें आनेके पश्चात ही भारतको विश्वमें पहचान मिली । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधीको चाहिए कि जाति और धर्मकी राजनीती करनेके स्थानपर भ्रष्टाचार मुक्त शासन और विकासके वचनके साथ वोट मांगे । १४ वर्षीय बच्चीद्वारा पूछे इस प्रश्नसे जनता आश्चर्यचकित थी और पूरा स्थान करतल ध्वनिसे गुंजायमान रहा ।
“राहुल गांधीजीको अब दुबईमें असहिष्णुता अनुभव हुई क्या ? राहुल कह रहे थे कि हिन्दुस्तानमें असहिष्णुता है; परन्तु १४ वर्षकी बालिकाद्वारा बोले सत्यको सहन तक नहीं कर पाए ! राहुलको यह ज्ञात होना चाहिए कि इतने वर्षोंसे देशमें उनके परिवारका ही शासन रहा है और वे स्वयं भी २०-२५ पूर्व ही राजनीतिके योग्य आयुके हो चुके थे और उस समय भी देशमें अनेकोनेक उपद्रव हुए थे, तब वे कहां थे ? ये राष्ट्रके बारेमें विचार करनेकी प्रेरणा अभी ही क्यों आई है ? हिन्दुओ ! क्या ऐसे तथाकथित परिवारवादसे उपजे नेता राष्ट्रको चलाने योग्य हैं ? स्वयं विचार करें !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : इपोस्टममोर्टम
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