दिसम्बर १२, २०१८
राजस्थान उच्च न्यायालयने बुधवार, १२ दिसम्बरको ट्विटरके मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जैक डोर्सीको बन्दी बनानेपर रोक लगा दी, परन्तु उस प्राथमिकीको रद्द करनेसे मना कर दिया, जिसमें डोर्सीपर ब्राहमण समाजकी कथित मानहानिका आरोप लगाया गया है । वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और संदीप कपूरने डॉर्सीके विरुद्ध चल रही जांच रोकने और प्राथमिकी रद्द करनेके लिए याचिका दायर की थी । याचिकाकर्ता राजकुमार शर्माके अधिवक्ता एच एम सारस्वतने कहा कि न्यायधीश पी एस भाटीने याचिकाको ठुकरा दिया, किन्तु बन्दी बनानेपर रोक लगा दी । सुनवाईके मध्य डोर्सीके अधिवक्ताने न्यायालयको बताया कि उनके विरुद्ध ऐसा कोई प्रकरण नहीं है, क्योंकि उन्होंने समुदायके मध्य घृणा प्रसारित करने जैसा कुछ नहीं किया है । एक न्यायालयने एक दिसम्बरको ट्विटरके सीईओके विरुद्ध प्रकरण प्रविष्ट करनेका निर्देश दिया था, जिसके पश्चात बासनी पुलिस थानेमें प्रकरण प्रविष्ट किया गया । ‘विप्रा फाउंडेशन’के सदस्य और याचिकाकर्ता राजकुमार शर्माने उस चित्रपर विरोध प्रकट किया था, जिसमें जैक डोर्सी एक चित्र हाथमें थामे थे । आरोप है कि उससे ब्राह्मणोंके सम्मानको ठेस पहुंची है ।
“ट्विटर अधिकारी यह कहकर नहीं पीछे हट सकते हैं कि उन्हें इसका ज्ञान नहीं था, क्योंकि इतने बडे संस्थानका अधिकारी बिना सोचे समझे कोई कृत्य नहीं करता है । अतः वे वक्तव्य देनेके स्थानपर अपने अनुचित कृत्यके लिए क्षमा प्रार्थना करे, यही उनके पदके अनुसार योग्य आचरण है ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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