गांवमें आरतीके लिए ब्राह्मण नहीं, विहिप करेगा प्रत्येक वर्गके व्यक्तिको ब्राह्मणके लिए प्रशिक्षित !!


जनवरी १८, २०१९

घरमें पूजा हो या देवालयमें, एक योग्य पुजारी प्रथम आवश्यकता होते हैं । नगर हों या गांव, पुजारियोंकी अल्पतासे सभी परेशान हैं । मन्दिरोंमें आरतीकी कठिनाई है तो विशेष तिथियों और पूजाके दिनोंमें पण्डितोंकी मारामारी । इस परिवर्तनके समयमें ब्राह्मणोंकी नूतन पीढी पूजा-पाठमें रुचि न लेकर चाकरीमें (नौकरीमें) अधिक रुचि दिखा रही है । विश्व हिदू परिषदने इसके समाधानकी ओर पग बढाया है । विहिप पुजारियों और कर्मकाण्डियोंकी बडी संख्या खडी करनेमें संलग्न है; परन्तु इसमें ब्राह्मण सहित सभी वर्गोंके लोग सम्मिलित हैं ।


समाजमें किसीको कोई आपत्ति न हो इसकी पूर्व सिद्धता की गई है । शंकराचार्यों एवं साधु-सन्तोंसे इसकी अनुमति ली गई है । ब्राह्मण समाजके लोगोंसे भी चर्चा हुई थी । झारखण्डसे आरम्भ हुआ पग आनेवाले दिनोंमें देशके अन्य भागोंमें भी प्रभाव दिखाएगी । आशा की जानी चाहिए कि अब मन्दिरोंके घंटे समयसे गूंजेंगे, आपको पूजा-पाठ और कर्मकाण्डके लिए प्रशिक्षित पण्डितोंकी कमीसे भी नहीं जूझना होगा । गत दिनोंमें रांचीमें समूचे झारखण्डसे प्रत्येक वर्गसे आए ५० से अधिक लोगोंको पुजारीका प्रशिक्षण दिया गया । प्रयास है कि मंदिरोंमें पूजा-पाठ न रुके और जो लोग पूजा कराते हैं, वे भी अच्छेसे पूजा कराएं ।

विश्व हिन्दू परिषदके झारखण्ड-बिहारके क्षेत्रीय संगठन मन्त्री केशव राजूने कहा कि गांवोंमें पुजारियोंकी अत्यधिक न्यूनता हो गई है । अबतक ब्राह्मण परिवारके लोग ही पूजा कराते थे; परन्तु धीरे-धीरे पूजा करानेका काम ये छोडते जा रहे हैं । या तो लोग चाकरीमें चले गए या नगरोंकी ओर झुकाव कर लिया । इससे गांवोंके मन्दिरोंमें आरती करनेवाले भी नहीं मिल रहे ! मन्दिरमें अयोग्य लोगोंका जमावडा हो रहा है । इस समस्याके समाधानके लिए विहिपने पग बढाया है ।

केशव राजूने कहा कि कार्य सरल नहीं था । विहिपने ब्राह्मण समाजके लोगोंसे वार्ता की । उनका समर्थन लिया । मैंने स्वयं श्रृंगेरी पीठाधीश, पेजावर स्वामी, वासुदेवानंद सरस्वती आदिसे वार्ता की । कांची पीठके तत्कालीन शंकराचार्य स्वर्गीय जयेन्द्र सरस्वतीने भी इसका समर्थन किया था । उन्होंने मेरी बातपर सहमति प्रकट करते हुए माना कि गांवोंमें ब्राह्मण वर्गमें पुजारियोंकी न्यूनता हो रही है ।

अब प्रत्येक वर्गमें पुजारी सिद्ध किया जा सकता है । उसके पश्चात पूजा करानेकी पद्धतिके लिए प्रशिक्षण देनेका कार्य आरम्भ किया गया । गत दिवसोंमें रांचीके जगन्नाथपुर मंदिर परिसरमें ही इसकी व्यवस्था की गई । उसी मंदिरके मुख्य पुजारीने प्रशिक्षण देनेका कार्य किया । इसके लिए एक पुस्तक तैयार की गई है । पलामूके ५० गांवोंसे यह अभियान आरय्भ हो चुका है ।

केशव राजूने कहा कि विहिप समूचे देशमें काशी सहित २५ स्थानोंपर ‘वेदशाला’ चला रही है । यहां निशुल्क वेदोंका प्रशिक्षण दिया जा रहा है । समाजके प्रत्येक वर्गके लोग पढ रहे हैं । इसके लिए विहिपने अखिल भारतीय संस्कृत विभागकी स्थापना की है, जिसके प्रमुख राधाकृष्ण हैं । राजूने कहा कि यदि शासन मन्दिरोंके पुजारियोंको मानदेय देना आरम्भ करता है, तब समाजके और लोग भी आगे आएंगें । विहिप चाहता है कि देशके प्रत्येक मन्दिरमें नियमित रूपसे स्वच्छता व आरती हो । इसमें समाजके प्रत्येक वर्गके लोगोंको प्राथमिकता करनी चाहिए ।

झारखण्ड विहिपके उपाध्यक्ष चन्द्रकान्त रायपतने कहा कि सभी वर्गके लोगोंको पूजा-पाठका प्रशिक्षण देनेका कार्य आरम्भ हो गया है । जो लोग पहलेसे पूजा कराते आए हैं, उन्हें भी सिखाया जा रहा है कि कैसे दोष रहित पूजा हो ? आनेवाले समयमें एक सहस्रसे अधिक लोगोंको इससे जोडनेकी तैयारी अन्तिम चरणमें है ।

“पुजारियोंकी आवश्यकता जिन्हें हैं, वे हिन्दू कोई पूजन आदि करनेके पश्चात भी दक्षिणा देनेमें आनाकानी करते हैं । स्थिति ऐसी है कि यदि १०० रूपये भी ब्राह्मणको दिए तो आजका हिन्दू सोचता है कि घर ही दे दिया, शासक वर्ग भी ब्राह्मणोंके प्रति उदासीन है तो ऐसेमें ब्राह्मणवर्ग आयके अन्य साधन नहीं ढूंढेगा तो क्या करेगा ? और शास्त्रानुसार पूजा पद्धति, मन्त्र आदिका योग्य अधिकारी ब्राह्मण ही है और ब्राह्मण बननेके लिए कोई पाठ्यक्रम नहीं साधनाकी आवश्यकता होती है । पूर्वमें समाज वर्णव्यवस्थाके आधारपर व्यवस्थित चलता था; परन्तु सहस्रों वर्षोंकी दासता और आजके धर्महीन हिन्दुओंके कारण न धर्म ही सुरक्षित है, न ब्राह्मण और इसमें कहीं न कहीं ब्राह्मण भी दोषी है कि वह धर्मका ज्ञान होनेपर भी समाजको सीखाता नहीं है । अनेक ब्रह्मण बालक भी मांस, मदिरा आदिका सेवन करने लगे हैं, ऐसेमें समाजमें उच्छृंखलता निर्माण हुई है । विहिपका यह निर्णय अवश्य ही प्रशंसनीय है, एक कहावत है कि बेकारसे बेगार भला; परन्तु शास्त्र इसकी आज्ञा नहीं देता है; ब्राह्मण यन्त्रवत व प्रशिक्षित नहीं वरन साधक होना आवश्यक है; अतः अब इस समस्याका समाधान हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाके पश्चात ही सम्भव है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

स्रोत : जागरण



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