रसोई बनाते समय कौनसी सावधानियां बरतें ?


‘प्रारम्भमें श्रीअन्नपूर्णादेवीसे, जलदेवतासे एवं अग्निदेवतासे प्रार्थना करें ! “हे देवता, मुझसे भोजन बनानेकी सेवा करवानेवाले आप ही हैं ।

इस सेवाका कर्तापन आपके चरणोंमें समर्पित होने दें !” तदुपरान्त शान्तचित्तसे भोजन बनाना आरम्भ करें ! इस प्रकारकी अन्य प्रार्थनाएं थोडे-थोडे समयके पश्चात कृत्यके अनुरूप भी करें ! उदा. रोटियां सेंकते समय,                 दाल-तरकारीमें लवण (नमक) एवं मिर्च डालते समय । रसोई बनाते समय हम जो विविध कृत्य करते हैं, उन्हें मन      ही मन भगवानको बताकर अथवा उनसे पूछकर करें !      इससे हम निरन्तर भगवानसे जुडे रहते हैं, सेवा करते हुए आनन्द मिलता है तथा सेवा अल्प कालावधिमें पूर्ण  होती है ।

१. शारीरिक स्तरकी सावधानियां

अ. रसोईघरमें अथवा निकट ही बज रहे आकाशवाणी यन्त्र (रेडियो), ध्वनिमुद्रण यन्त्र (टेप) तथा दूरदर्शन यन्त्रके (टेलीविजनके) कारण होनेवाली हानियां

‘रसोईघरमें अथवा निकट ही बज रहे ‘रेडियो’, ‘टेप’ तथा दूरदर्शनयन्त्रसे (टी.वी.से) वेगपूर्ण घर्षणात्मक तीव्र गतिके स्पन्दन तेजके स्तरपर (माध्यमसे) अन्न घटकके पोषक पदार्थोंका ह्रास करते हैं । इससे मानव-जीवको सत्त्वहीन अन्न मिलता है ।

आ. पात्रोंकी (बरतनोंकी) ध्वनि (आवाज) न होने देना

भोजन बनाते समय बरतनोंकी ऊंची कष्टदायक ध्वनि तरंगें, अन्नसे टकराकर उसमें विद्यमान चेतनाको नष्ट        करती हैं ।



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