साधक किसे कहते हैं ?  (भाग – ५)


गुरु या ईश्वरके प्रति प्रत्येक परिस्थितिमें निर्विकल्प रहनेवाला ही साधक कहलानेका अधिकारी होता है । संस्कृतमें एक सुवचन है, ‘ईश्वरं यत् करोति शोभनम् करोति’ अर्थात ईश्वर जो करते हैं, वह अच्छा ही करते हैं । गुरु, ईश्वरके प्रतिनिधि होते हैं; अतः वे जो भी करते हैं, उसमें साधकका कल्याण ही निहित होता है । जो साधक, इस मूलभूत तत्त्वको आचरणमें सदैव लाता है, वह साधक कहलानेका शीघ्र ही अधिकारी हो जाता है ।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution