साधकके गुण (भाग-१२)
वैदिक दिनचर्याका पालन करना
अनेक सन्त विदेश जाकर धर्मप्रसार करते हैं और उनके विदेशी अनुयायी सहज ही उनसे सब शास्त्र सीखकर वैदिक संस्कृति अनुसार आचरण करने लगते हैं जैसे भारतीय परिधान धारण करना, टीका लगाना, शाकाहारी भोजन करना, संध्या करना, जनेऊ धारण करना, मल-मूत्र त्यागके पश्चात शुचिताका पालन करना, प्रतिदिन स्नान करना, हिन्दी एवं संस्कृत सीखना, काले वस्त्र न पहनना, नियमित योगासन प्राणायाम करना इत्यादि ! वस्तुत: वैदिक संस्कृति अनुसार आचरणसे व्यक्ति सत्त्व गुणकी ओर शीघ्र बढता है जिससे उसके लिए साधना करना सरल हो जाता है ! अतः साधकका वर्तन वैदिक संस्कृति अनुकूल होना चाहिए । ध्यान रहे जितना आप वैदिक संस्कृति अनुसार आचरण करेंगे आपका सुसंस्कृत मन एवं विवेकयुक्त बुद्धि आपको उतना ही शीघ्र अध्यात्मकी ओर उन्मुख करेगी; अतः साधक बनना है तो वैदिक संस्कृति अनुसार आचरण करें । पाश्चत्य या विश्वकी कोई भी अन्य अहिंदू संस्कृति सत्त्व गुण आधारित नहीं है; अतः वह अध्यात्मिक प्रगति हेतु पूरक भी नहीं है !
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