साधना छोड व्यावहारिक जीवनसे मनुष्य जीवनका निरर्थक सिद्ध होना  


साधना करना नहीं जमता इसलिये मैं पुनः व्यवहारमें जाता हूं, ऐसा विचार करनेकी अपेक्षा, मुझे आज नहीं तो कल साधना करनी सम्भव होगी, ऐसा सकारात्मक विचार करनेसे कभी न कभी तो प्रगति होगी; मात्र व्यवहारमें जानेसे जन्मजन्मान्तर व्यर्थ होंगे । – परात्पर गुरु डॉ . जयंत आठवले



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