अक्तूबर २, २०१८
मतदानके ठीक पूर्व साधु-सन्तोंने शासनके विरुद्घ बिगुल फूंक दिया है । राजधानीमें कहीं सन्तोंका धरना और अनशन चल रहा है, तो कहीं अधिवेशन कर साधु सन्त शासनके विरुद्घ अपना रोष प्रकट कर रहे हैं । इसमें बडी संख्यामें प्रदेश भरसे साधु-सन्त आए हैं ।
मठ-मन्दिरोंकी समस्याओंको लेकर शीतलदासकी बगियामें साधु सन्तोंका धरना दूसरे दिवस भी जारी रहा । सभी दोपहरमें मुख्यमन्त्री निवास जानेके लिए शीतलदासकी बगिया शसे निकले थे; लेकिन मन्दिरके बाहर द्वारपर ही पुलिस प्रशासनने सन्तोंको रोक लिया । इसके पश्चात साधु सन्त यहीं सडक किनारे मन्दिरके सामने धरनेपर बैठे गए और इस धरनेकी अध्यक्षता कर रहे रामगिरी महाराज डंडा वाले बाबाने अनशन भी आरम्भ कर दिया !
रामगिरी महाराजने बताया कि शासन हमारे साथ निरन्तर छलावा कर रहा है । आज भी धरनेके समय अधिकारी हमारे कुछ साथियोंको लेकर गए थे और आश्वासन दिया था कि आपकी मांगोंको प्राथमिकता दी जाएगी; लेकिन शामको बताया गया कि बैठक समाप्त हो गई है; इसलिए दो तीन दिवस पश्चात ही कुछ हो सकता है, आप धरना समाप्त कर दे; लेकिन हमारा धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक हमारी मांगे पूर्ण नहीं हो जाती । रात्रिमें साधु सन्त धरना स्थलपर ही उपस्थित रहे !
नर्मदा मन्दिर तुलसी नगरमें ‘षटदर्शन सन्त समिति’का महाअधिवेशन आयोजित किया गया । इसमें कई महामण्डलेश्वर सहित सन्त महन्त उपस्थित हुए । इस अधिवेशनमें कम्प्यूटर बाबा भी उपस्थित थे । सन्तोंने अधिवेशनमें शासनके विरुद्घ कडा आक्रोश दिखाया । संतोंका कहना था कि प्रदेशमें जबसे भाजपाका शासन है, तब से शासनने मठ-मन्दिरों और साधु-सन्तोंके लिए कुछ नहीं किया है । इस मध्य सन्तोंने कम्प्यूटर बाबा से भी कहा कि राज्यमन्त्री बननेके पश्चात आपने भी शासनके साथ मिलकर साधु-सन्तोंके लिए कोई कार्य नहीं किए हैं । नर्मदा उत्खननपर प्रतिबन्ध नहीं लग पाया है, गौरक्षा सम्बन्धी कोई उपाय नहीं हुए हैं, मठ मन्दिरोंकी समस्याएं जस की तस बनी हुई है ।
“हिन्दुओंके राष्ट्र भारतमें मन्दिरोंकी स्थिति किसीसे छिपी नहीं है और आश्चर्य है तथाकथित हिन्दुवादी शासन भी असमर्थ है ! यह मात्र और मात्र हिन्दुओंकी निष्क्रियता व नेता भक्तिका परिणाम है” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : पत्रिका
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