जनवरी २७, २०१९
उप्रदेशके शामली जनपदके निवासी पीडित पिता शकीलने पुलिसको बताया कि उनकी १५ वर्षीय पुत्री मुस्कानको पांच माह पूर्व देवबंदके मोहल्ला पठानपुरा स्थित मदरसेमें प्रवेश दिलाया था । शनिवार देर रात्रि मदरसेमें मुस्कानके साथ मारपीट की गई । उसके हाथ पैर बांधते हुए ठंडा पानी भी डाला गया और खाना पीनातक बंद कर दिया गया !
शकीलके अनुसार, मदरसेकी ही कुछ छात्राओंने सन्देश देकर उन्हें इसकी सूचना दी, वह देवबंद पहुंचे तो अपनी पुत्रीको मदरसेमें बंधक पाया !
रविवारको वह अपनी पुत्रीको मूर्च्छित अवस्थामें लेकर कोतवाली पहुंचे और मदरसा संचालिकाके पुत्र व पुत्रवधूपर मारपीट व यातनाएं देनेका आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की ।
बादमें तहसीलदारके नेतृत्वमें पुलिस परिजनोंके साथ मदरसा पहुंची और छात्राके वक्तव्य प्रविष्ट करनेके पश्चात उसे चिकित्सालयमें प्रविष्ट कराया ।
मदरसा संचालिका खुुर्शीदाने बताया कि मुस्कानपर ऊपरी प्रभाव है । १० दिवस पूर्व उसको कलियर भी लेकर गए थे । शनिवारको मुस्कानका व्यवहार उग्र हो गया था ।
उसने सामान इधर-उधर फेंका और तदोपरान्त मूर्च्छित हो गई । प्रबन्ध तन्त्रद्वारा छात्राको चेतनामें लानेके लिए पानी डाला गया था ।
“जब मदरसे ऐसे कृत्य करते हैं, यह सर्वविदित है तो क्यों माता-पिता उन्हें मदरसोंमें भेजते हैं ? एक मदरसा मारता-पिटता है तो दूसरेमें डलवाएंगें तो वो यौन शोषण करेगा, तीसरा आतंकी विचारधाराका पोषण; परन्तु सबसे बडी समस्या यही है कि मुस्लिम मुख्यधारामें वापस आना ही नहीं चाहते हैं । जो आ जाते हैं फिर उन्हें हिन्दू विद्यालयोंमें होनेवाले सूर्य नमस्कार व योगसे परेशानी है ! तो इसका समाधान तो मुस्लिम माता-पिताको स्वयं ढूंढना होगा; परन्तु शासनने मदरसे अवश्य ही बन्द करने चाहिए, यह बालकोंके भविष्यके लिए भी उत्तम है और देशके भी !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नई दुनिया
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