विश्वमें सनातन धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है जो सगुण और निर्गुण दोनों ही साधना पद्धतियोंको मात्र मान्यता ही नहीं देती है, अपितु इसके भिन्न तत्त्वोंके सूक्ष्म पक्षका गहनतासे विवरण देते हुए साधकोंको इनमेंसे किसी भी मार्ग या सिद्धांतपर चलनेकी छूट देती है । सनातन धर्मके सगुण और निर्गुण तत्त्वके उपासकोंमें कभी भी आपसी संघर्ष या लडाई इत्यादि नहीं हुई है; क्योंकि ये दोनों ही तत्त्व एक दूसरेसे भिन्न नहीं, अपितु पूरक हैं, यह सीख यह धर्म देता है ! यह सीख इस धर्मकी अद्वितीयता एवं व्यापकताको सिद्ध करता है !
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