संस्कृत भाषाका काव्यसौन्दर्य


sanskrit

किरातार्जुनीयम् महाकवि भारविद्वारा महाकाव्यसे उद्धृत निम्नलिखित पंक्तियोंमें चित्रालंकार एवं काव्यसौन्दर्य देखें :

न नोननुन्नो नुन्नोनो नाना नानानना ननु ।

नुन्नोऽनुन्नो ननुन्नेनो नानेना नुन्ननुन्ननुत् ।।

अर्थ : हे नाना मुखवाले (नानानन) ! वह निश्चित ही (ननु) मनुष्य नहीं है जो जो अपनेसे अशक्तसे भी पराजित हो जाए । और वह भी मनुष्य नहीं है (ना-अना) जो अपनेसे अशक्तको मारे (नुन्नोनो) । जिसका नेता पराजित न हुआ हो, वह हार जानेके पश्चात् भी अपराजित है (नुन्नोऽनुन्नो) । जो पूर्णतः पराजितको भी मार देता है (नुन्ननुन्ननुत्) वह पापरहित नहीं है (नानेना) ।



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