संस्कृत क्यों सीखें ? (भाग – २)


संस्कृत संस्कार देनेवाली भाषा है, अत: उसके नित्य उच्चारणसे व्यक्तिके जीवन जीनेकी शैली सुसंस्कृत हो जाती है, जिससे उच्च आदर्शोंके निकट पहुंचनेमें सहायता मिलती है । अपने बच्चोंको सुसंस्कृत करनेहेतु उन्हें संस्कृत सिखाएं ! सुसंस्कृत भारतमें कभी वृद्धाश्रम नहीं हुआ करते थे !
कैसे सीखें संस्कृत ?
विद्यालयीन पाठ्यक्रमोंमें बारहवीं तकके पुस्तकोंका प्रथम अभ्यास करें, तत्पश्चात ‘लघुसिद्धान्त’, ‘कौमुदी’ जैसे ग्रन्थोंका अभ्यास आरम्भ करें ! किसी भी भाषाका प्राण उसका ‘व्याकरण’ होता है और संस्कृतका व्याकरण एक दर्शन है, आप जितना सूक्ष्मतासे इसका अभ्यास करेंगे, यह उतना ही आनन्द प्रदान करेगा । मात्र प्रतिदिन एक घण्टे इसके अभ्यासहेतु निकालनेकी आवश्यकता है । साथ ही ‘यू ट्यूब’की भी सहायता ले सकते हैं; किन्तु सदैव संस्कृत सीखने हेतु प्रथम व्याकरणसे उसका अभ्यास आरम्भ करें !



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