संस्कृत क्यों सीखें ? (भाग – ३ )


भारते संस्कृता भाषा कामधेनुः प्रकीर्तिता ।
जननी विश्वभाषाणां विज्ञानस्योपकारिणी ।।

अर्थ :भारतमें संस्कृत भाषा कामधेनु रूपमें प्रसिद्ध है, यह विश्वके सर्व भाषाओंकी जननी है, यह विज्ञानका पोषण करती  है ।

कामधेनुका अर्थ है सर्व इच्छाओंको पूर्ण करनेवाली, इससे ही इस भाषाका लौकिक एवं पारलौकिक दृष्टिसे क्या महत्त्व है ?, यह समझमें आता है । संस्कृत भाषा, सभी भाषाओंकी जननी है; और उसके प्रति सम्मान व्यक्त करनेका एक ही माध्यम है, उसका संरक्षण व संवर्धन करना, यह मात्र तभी सम्भव है जब हम स्वयं संस्कृत लिख-पढ सकेंगे; अतः संस्कृत सीखें । यह विज्ञानका पोषण करती है, इसलिए नासाके वैज्ञानिक भी इसका महत्त्व समझते हैं और वे भी इसे सीखते हैं । वैदिक सनातन धर्म, सूक्ष्म स्पन्दनशास्त्र आधारित विज्ञानपर आधारित है, यह जानने हेतु संस्कृत सीखें ।

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कैसे सीखें संस्कृत ?
विद्यालयीन पाठ्यक्रमोंमें बारहवीं तककी पुस्तकोंका प्रथम अभ्यास करें तत्पश्चात ‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ जैसे ग्रन्थोंका अभ्यास आरम्भ करें ! किसी भी भाषाका प्राण उसका व्याकरण होता है और संस्कृतका व्याकरण एक दर्शन है, आप जितना सूक्ष्मतासे इसका अभ्यास करेंगे, यह उतना ही आनन्द प्रदान करेगा । मात्र प्रतिदिन एक घण्टा इसके अभ्यास हेतु निकालनेकी आवश्यकता है । साथ ही ‘यूट्यूब’की भी सहायता ले सकते हैं; किन्तु सदैव संस्कृत सीखने हेतु प्रथम व्याकरणसे उसका अभ्यास आरम्भ करें !



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