सन्त तुलसीदासके अनुसार रामराज्यकी परिभाषा


हिन्दू राष्ट्र कैसा होगा ?

२०२३ से आरम्भ होनेवाला हिन्दू राष्ट्र ‘रामराज्य’ समान होगा !
सन्त शिरोमणि तुलसीदासने रामचरितमानसमें रामराज्य कैसा था ?, इसका उल्लेख करते हुए कहते हैं –
अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा । सब सुन्दर सब बिरुज सरीरा ॥
नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना । नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना ॥
भावार्थ : छोटी अवस्थामें मृत्यु नहीं होती, न किसीको कोई पीडा होती है । सभीके शरीर सुन्दर और निरोग हैं । न कोई दरिद्र है, न दुःखी है और न दीन ही है । न कोई मूर्ख है और न शुभ लक्षणोंसे हीन ही है ।

सब निर्दंभ धर्मरत पुनी । नर अरु नारि चतुर सब गुनी ॥
सब गुनग्य पण्डित सब ग्यानी । सब कृतग्य नहिं कपट सयानी ॥
भावार्थ : सभी दम्भरहित हैं, धर्मपरायण हैं और पुण्यात्मा हैं । पुरुष और स्त्री सभी चतुर और गुणवान हैं । सभी गुणोंका आदर करनेवाले और पण्डित हैं तथा सभी ज्ञानी हैं । सभी कृतज्ञ (दूसरेके किए हुए उपकारको माननेवाले) हैं, कपट-चतुराई (धूर्तता) किसीमें नहीं है ।

हमारे श्रीगुरुने भी हिन्दू राष्ट्रके स्वर्णिम युगकी ऐसी ही परिभाषा बताई है, जहां सभी धर्मपालन करेंगे, सर्वत्र सुख शान्ति और समृद्धि होगी । हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना होना तो अवश्यम्भावी है; अतः इस महती कार्यमें अपना योगदान देकर अपना उद्धार करें !



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