सन्त वाणी


जिसने इच्छाका त्याग किया है, उसको घर छोडनेकी क्या आवश्यकता है  और जो इच्छाका बंधुआ श्रमिक है, उसको वनमें रहनेसे क्या लाभ हो सकता है ? सच्चा त्यागी जहां रहे वहीं वन और वही भवन, कंदरा है । – वेदव्यास


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