सन्त वाणी


जैसे ही सांसारिक विचार उदित होते हैं, उन्हें उनके जन्म स्थानपर बिना चिह्न छोडे नष्ट कर देना वैराग्य है । जिसप्रकार एक गोताखोर अपने कटिपर (कमरपर) एक पत्थर बांधे समुद्रके तलपर तैरता है तथा वहांसे मोती प्राप्त करता है, उसीप्रकार हममेंसे प्रत्येकको वैराग्यकेद्वारा अपने स्वयंके भीतर गोता लगाना चाहिए और आत्मा रूपी मोती प्राप्त करना चाहिए | – रमण महर्षि



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