सर्वप्रथम यह जान लें कि संतानप्राप्ति नहीं होनेके शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों कारण हो सकते हैं ! वैसे आजके तनावपूर्ण जीवन शैलीके कारण भी कई वैवाहिक जोडोंको शारीरिक कष्ट हो रहा है और इसलिए उन्हें सन्तान प्राप्ति नहीं हो रही है, ऐसा भी सर्वेक्षणमें पाया गया है | तनाव एवं तमोगुणी जीवन शैलीके कारण आज स्त्रियोंके अंडाणु एवं पुरुषोंकी शुक्राणु दोनोंकी संख्यामें गिरावट पायी गई है ! इससे सात्विक जीवन प्रणाली एवं साधनाका महत्त्व ज्ञात होता है |
यदि सन्तान शारीरिक कारणोंसे नहीं हो रहा है तो आपको चिकित्सकोंकी ही सहायता लेनी पडेगी | जैसे मच्छर मारने हेतु तोप नहीं चाहिए होता है, वैसे ही शारीरिक स्तरके कष्ट हेतु शारीरिक स्तरके ही उपाय करने पडते हैं ! यदि दोनों पति-पत्नीको शारीरिक दृष्टिसे कोई कष्ट न हो एवं तब भी उन्हें सन्तान नहीं हो रहा हो तो वह कष्ट आध्यात्मिक कारणोंसे हो सकता है ! आध्यात्मिक स्तरके कष्टके अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे यदि प्रारब्धके कारण सन्तान न हो तो वे कितना भी प्रयास कर लें, सन्तान होनेकी सम्भावना .००००१ % ही होगी, वह भी कोई विशेष ईश्वरीय या गुरुकृपा हो तो ही संभव है ! उसी प्रकार यदि पितृदोष संतानहीनताका कारण है तो उसे दूर करने हेतु योग्य उपाय करनेपर वह समाप्त हो जाता है या न्यून हो जाता है तो सन्तान होनेकी सम्भावना बन सकती है ! इसीप्रकार भिन्न-भिन्न आध्यात्मिक कारणोंसे सन्तानप्राप्तिमें बाधा हो सकती है और यह मात्र कोई सन्त ही बता सकते हैं कि किस कारणसे वह नहीं हो रहा है और उसका यदि कोई उपचार या उपाय है तो वह क्या हो सकता है ?! किन्तु सन्त ऐसे तो किसीको मिलते नहीं हैं, यह तो आपको ज्ञात ही होगा, उसके लिए आपको अपनी पात्रता बढानी पडती है, इस हेतु योग्य साधना एवं त्यागके संस्कार अंगीकृत करें !
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