सुमिरन सो मान लाइये जैसे पानी मीन ।
प्राण तजै पल बिछुरै सत्य कबीर कहे दीन ।। – सन्त कबीर
अर्थ : सुमिरनकी ऐसी वृत्ति अंगीकृत करें, जैसे मछ्लीका सम्बन्ध जलसे है । मछ्ली जलसे कुछ क्षणोंके लिए वियोग नहीं सह पाती है और अपने प्राण त्याग देती है । यह दीन कबीरकी सत्य वाणी है ।
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