गुरुपादुकाका मूल्य प्राणोंसे भी अधिक है !
एक भक्तको गुरुके दर्शन नहीं हुए | दूसरा भक्त गुरुसे मिले, तब गुरुके उनके पुत्रके विवाहके निमित्त उन्हें पादुका दी | यह देखनेपर पहले भक्तने कहा “तुम मुझे यह गुरु पादुका दे दो मैं तुम्हें अपनी सम्पूर्ण जीवनमें अर्जित संपत्ति देता हूं” | दूसरे भक्तने उसे पादुका दे दी | पहले भक्तके पादुकाको हृदयसे लगाकर नाचने लगा | गुरुको यह ज्ञात होनेपर उन्होंने पहले भक्तसे पूछा “पादुका कितना मूल्य देकर लिया” | भक्तने कहा “सम्पूर्ण जीवनमें जो संपत्ति अर्जित की थी वह देकर इसे लिया है” | गुरुने कहा “व्यवहार(सौदा) सस्ता हुआ, गुरुपादुका, गुरुकृपा इस हेतु प्राण देने पडते हैं” | – पूज्य डॉ. वसंत आठवले (ख्रिस्ताब्द १९९०)
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