सूखी अदरक, जिसे सोंठके (संस्कृत नाम – अरद्रका, आर्द्रशाक; अन्य नाम – चुक्कू, शुंती, सोनथ; अंग्रेजी नाम – Dry Ginger) नामसे जाना जाता है, इसका उपयोग प्राचीन समयसे ही आयुर्वेदमें व्यापक रूपसे किया जा रहा है । प्रत्येक ऋतुमें और स्थानोंपर अदरककी उपलब्धता होना सम्भव नहीं है; इसलिए अदरकको विशेष परिस्थितियोंमें सुखाकर उपयोगके लिए सिद्ध किया जाता है । इस सूखी हुई अदरकको ही सोंठ कहते हैं । इसे आप सूखे चूर्णके रूपमें उपयोग कर सकते हैं । सोंठ चूर्णका वर्ण (रंग) धूमिल श्वेत (off-white) होता है ।
सोंठके पोषक तत्व – अदरककी भांति ही सोंठ हमारे स्वास्थ्यके लिए लाभप्रद होती है, क्योंकि इसमें अदरकके सभी गुण होते हैं । इसमें विद्यमान पोषक तत्वोंमें अन्तर मात्र इसके सूखे होनेके कारण हो सकता है । सोंठमें ‘फाइबर’, ‘कार्बोहाइड्रेट’, ‘प्रोटीन’, ‘सोडियम’, ‘आयरन’, ‘विटामिन सी’, ‘पोटैशियम’ आदि मुख्य रूपसे पाए जाते हैं ।
सेवन विधि – सोंठके चूर्णको सीधा उष्ण जलसे लिया जा सकता है । इसके अतिरिक्त इसका उपयोग मधुके (शहदके) साथ होता है । इसकी चटनी भी बनाई जा सकती है, इसके अतिरिक्त सोंठके लड्डू अत्यधिक लोकप्रिय हैं ।
आइए, सोंठके स्वास्थ्य लाभके विषयमें जानते हैं –
* भार न्यून करनेमें – इसके लिए १ कप उष्ण जलमें आधा छोटा चम्मच सोंठ चूर्णको मिलाएं एवं इस जलको नियमित रूपसे सेवन करनेपर भार न्यून करनेमें सहायता मिल सकती है । आप इस जलका स्वाद बढानेके लिए इसमें मधुका (शहदका) उपयोग कर सकते हैं । सोंठमें ‘थर्मोजेनिक वाहक’ होते हैं, जो शरीरके मोटापेको न्यून करनेमें सहायक होते हैं ।
* मुंहासोंके लिए – सोंठ चूर्णमें प्रज्वलनरोधी (एंटी-इंफ्लामेटरी) और विषाणुरोधी गुण होते हैं । ये गुण त्वचा छिद्रोंमें विद्यमान गंदगी और मुंहासे उत्पन्न करनेवाले विषाणुओंको नष्ट कर सकते हैं । मुंहासोंका उपचार करनेके लिए दूधके साथ थोडासा सोंठ चूर्ण मिलाएं । इस मिश्रणको लगानेसे पूर्व मुखको स्वच्छ करें, तदोपरान्त इस मिश्रणको अपने मुखपर और गर्दनपर अच्छेसे लगाएं । लगभग २५-३० मिनिटके पश्चात धो लें । इस घरेलू विधिको सप्ताहमें कमसे कम १ बार प्रयोग करें ।
* मधुमेह – उच्च रक्त शर्कराको नियन्त्रणमें रखनेके लिए सेन्धा नमकके साथ २-४ ग्राम अदरक चूर्णका सेवन कर सकते हैं, यह बिना जल या जलके साथ भी कर सकते हैं ।
* उदरके लिए – सोंठमें प्रज्वलनरोधी गुण होते हैं, जो पाचन सम्बन्धी समस्याओंको दूर करते हैं । इसप्रकारसे सोंठ पाचनको ठीक करने और पोषक तत्वोंके अवशोषणको उत्तेजित करनेमें सहायक होती है । यह वायुविकारको भी सरलतासे दूर कर सकती है । इन सभी लाभोंको देखते हुए सोंठका नियमित सेवन आपके लिए लाभप्रद हो सकता है ।
* शीतप्रकोपका उपचार – ऋतु परिवर्तनके कारण हमपर शीतप्रकोपका होना सामान्य बात है, इसमें सोंठका प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है । सोंठमें ‘जिंजरोल’ और ‘शोगल’ जैसे पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं । ये सभी सामान्य सर्दीके लक्षणोंको प्रभावी रूपसे दूर करनेमें सहायक हैं । सोंठ चूर्णको उष्ण जलके साथ उपभोग करनेपर शीत और ‘फ्लू’में तत्काल लाभ मिलता है । सोंठ चूर्णके साथ नमक और लौंग मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं । सामान्य शीतप्रकोपमें लाभके लिए इन्हें दिनमें दो बार सेवन करें ।
* गठिया व सूजन – सोंठमें विद्यमान प्रज्वलनरोधी गुणके कारण यह सूजनकी प्रभावी रूपसे चिकित्सा कर सकता है । गठियाकी सूजनके अतिरिक्त शरीरमें लगी चोटकी सूजनको भी सोंठसे दूर किया जा सकता है । इसके लिए १ जग जलमें ४-५ चम्मच सोंठके चूर्णको मिलाएं और इसे उबालें । इस उबले हुए सोंठ मिश्रित जलका नियमित रूपसे सेवन करनेपर सूजनमें लाभ मिलता है । इसके अतिरिक्त जोडोंकी वेदना होनेपर भी सोंठ चूर्णको ‘पेस्ट’ बनाकर प्रभावित स्थानपर लगा सकते हैं । इससे जोडोंकी वेदनामें लाभ मिलता है ।
* चयापचयमें (मेटाबॉलिज्ममें) लाभप्रद – सोंठमें उष्मोत्पादक वाहक होते हैं । ये गुण शरीरमें विद्यमान वसाको न्यून करने और मोटापा अल्प करनेके लिए भी उपयोगी होते हैं । सोंठका सेवन करनेसे यह चयापचय दरको बढा सकता है, जिससे शरीरमें उपस्थित अतिरिक्त वसाको अल्प किया जा सकता है । सोंठ शरीरमें रक्तवसा (कोलेस्ट्रॉल) और ‘ट्राइग्लिसराइड’के स्तरको अल्प करनेके लिए भी उपयोगी है । इसप्रकारसे आप अपने शरीरमें चयापचय दरमें वृद्धि करनेके लिए सोंठका प्रयोग कर सकते हैं ।
* त्वचाके लिए – सोंठ त्वचाको स्वस्थ रखने और कान्तिमान बनानेका कार्य करती है । ३ गिलास जलमें २-३ चम्मच सोंठ चूर्ण मिलाएं । इस मिश्रणको तबतक उबालें कि मिश्रणकी मात्रा आधी न हो जाए, तत्पश्चात इस मिश्रणको ठंडा करें और किसी मलमलके वस्त्रसे छान लें । इस छने हुए मिश्रणको किसी बोतलमें भरकर ठंडे स्थानपर रखें । प्रतिदिन इस मिश्रणमें रूई भिगोकर मुखपर लगानेसे यह त्वचाकी अशुद्धियोंको दूरकर त्वचामें नमी बनाए रखता है । सोंठमें विषाणुरोधी गुण होते हैं, जो त्वचा छिद्रोंमें एकत्र हुई गन्दगीको हटानेमें सहायक होते हैं । यह गन्दगी ही मुंहासोंका प्रमुख कारण होती है । सोंठ चूर्णके साथ गुलाब जल और दूध मिले मिश्रणको बनाकर मुखपर लगाएं, यह त्वचाकी सभी समस्याओंको दूर करनेमें सहायक है ।
* गर्भवती महिलाओंके लिए – आयुर्वेदके अनुसार सोंठ गर्भवती महिलाओंके लिए अत्यधिक लाभप्रद होता है । सोंठके औषधीय गुण न केवल महिलाओंके लिए लाभप्रद होते हैं, वरन यह बच्चेके लिए भी उपयोगी होते हैं । भारतमें प्रसवके पश्चात महिलाओंको सोंठके लड्डू दिए जाते हैं । सोंठमें पाए जानेवाले पोषक तत्व महिलाओंको गर्भावस्था और प्रसवके पश्चात होनेवाले संक्रमणोंसे बचाता है । इसके साथ ही यह रक्तचाप, वमन जैसी समस्याओंका भी उपचार कर सकता है ।
* सिरमें वेदना (दर्द) – अदरक चूर्णके सबसे अच्छे लाभोंमेंसे एक सिरमें वेदनासे लाभ दिलाना है । इसके लिए थोडेसे सोंठ चूर्णमें कुछ बूंद जल मिलाकर मिश्रण तैयारकर माथेपर लगानेसे यह सिरमें वेदनाकी चिकित्सा कर सकता है । इसके अतिरिक्त आप अपने गलेकी वेदनाको दूर करनेके लिए भी इसका उपयोग कर सकते हैं । सोंठमें वेदना निवारक गुण होते हैं, जो वेदनासे लाभ दिला सकते हैं ।
सावधानियां –
१. अधिक मात्रामें सोंठ या ताजे अदरकका सेवन करनेपर यह उदरकी समस्याओंको और अधिक बढा सकता है । अधिक सोंठका सेवन करनेसे उदरकी जलन, ऐंठन और अतिसारकी परेशानी हो सकती है ।
२. कुछ महिलाएं सोंठके प्रति अतिसंवेदनशील होती हैं । अधिक मात्रामें सोंठका सेवन करनेसे उनके मासिक धर्मके समय अतिरिक्त प्रवाह हो सकता है ।
३. यदि आप किसी विशेष प्रकारकी औषधियोंका सेवन कर रहे हैं तो औषधीय रूपमें सोंठका सेवन करनेसे पूर्व अपने चिकित्सकसे सम्पर्क करें ।
४. गर्भवती महिलाओंके लिए सोंठ लाभप्रद होती है, परन्तु उचित मात्राके लिए चिकित्सकसे सम्पर्क किया जा सकता है ।
५. इसकी प्रकृति उष्ण होती है; इसलिए शीत ऋतुमें इसका प्रयोग सामान्य रूपसे लोग अधिक करते हैं । शीत ऋतुमें सोंठ मिला हुआ दुग्ध अथवा क्वाथ पीनेसे शरीरमें उष्णता आती है, परन्तु ग्रीष्म ऋतुमें सोंठका प्रयोग अधिक मात्रामें करना हानिकारक हो सकता है ।
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