अगस्त १, २०१८
केन्द्रीय मन्त्रिमण्डलने ‘अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम’में संशोधनको स्वीकृति दे दी है, जिसके पश्चात मोदी शासन संशोधित विधेयकको वर्तमान संसद सत्रमें ही प्रस्तुत करेगी ।
इस प्रकरणपर एनडीएके सहयोगी दल लोक जनशक्तिके मुखिया और केन्द्रीय मन्त्री रामविलास पासवानने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीको भी पत्र लिखा था । पासवानने उच्चतम न्यायालयके निर्णयके पश्चात मोदी शासनकी दलित विरोधी छवि बननेका दावा किया था, जिसके पश्चात अब मोदी शासनने विधेयकमें संशोधनका निर्णय किया है ।
न्यायालयने इसी वर्षके आरम्भमें ‘एससी-एसटी एक्ट’के कुछ प्रावधानोंको यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि उनका दुरुपयोग देखा गया है । न्यायालयके इस निर्णयके पश्चात दलित संगठनोंने कई राज्योंमें विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके चलते कई जगह हिंसक घटनाएं भी सामने आई थीं ।
न्यायालयके उस निर्णयके पश्चात से ही मोदी शासन घिरता हुआ दिख रहा था और कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दल शासनपर दलित विरोधी होनेका आक्षेप कर रहे थे । यहां तक कि दलितोंका नेतृत्व करने वाले एनडीएके सहयोगी दलोंने भी शासनसे इस दिशामें पग उठानेकी मांग की थी ।
इतना ही नहीं, वर्तमानमें जब न्यायालयके पूर्व न्यायाधीश ए.के गोयलको ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल’का अध्यक्ष नियुक्त किया गया तो एलजेपीने इसका विरोध किया । एके गोयलने ही न्यायालयमें रहते हुए ‘एससी/एसटी एक्ट’के कुछ प्रावधानोंको निरस्त करनेका आदेश दिया था, जिसके चलते रामविलास पासवानके दल सहित दूसरे संगठनोंने इस नियुक्तिका विरोध किया । यहां तक कि पासवानने मोदी शासनको ९ अगस्तसे पूर्व इस सम्बन्धमें संशोधन लानेकी मांग करते हुए सडकोंपर उतरनेकी चेतावनी दी थी !
स्रोत : आजतक
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