मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथने धर्मनिरपेक्षताको बताया भारतकी समृद्ध परम्पराके प्रसारका संकट


०९ मार्च, २०२१
       उत्तर प्रदेशके मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथने ‘रामायण विश्व महाकोष’ ( ‘ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ द रामायण’ ) नामक पुस्तकके विमोचनके मध्य जनसमूहको सम्बोधित करते हुए धर्मनिरपेक्षताके (सेकुलरिज्मके) विषयमें कुछ ऐसे तथ्य कहे, जो वामपन्थी समूहको पीडा भी पहुंचा सकते हैं । उन्होंने कंबोडियाके अंकोरवाट मन्दिरके विषयमें एक युवकसे चर्चा की तथा अपने विचार साझा किए । योगी आदित्यनाथने कहा कि इस प्रकारकी चर्चा करनेपर बहुत सारे लोगोंकी धर्मनिरपेक्षताके लिए संकट उत्पन्न हो सकता है । उनके अनुसार, धर्मनिरपेक्षता शब्द भारतकी समृद्ध परम्पराओंको आगे प्रसारित करने व वैश्विक मंचपर उसे साझा करनेमें बहुत बडा संकट है । उन्होंने यह भी कहा कि रूसमें भी रामलीलाका मंचन होता है तथा अनेक राष्ट्रोंमें उनकी रामलीला भी होती है । उन्होंने भगवान श्रीरामकी परम्पराओंके माध्यमसे भारतकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरको वैश्विक मंचपर स्थापित किए जानेके विषयमें अपने विचार व्यक्त किए तथा श्रीराम व रामायणके सम्बन्धमें जन सामान्य व संग्रहालय आदिमें उपलब्ध पाण्डुलिपियोंको संग्रहितकर ‘डिजिटल’ रूपमें प्रस्तुत करनेके विषयपर भी बल दिया । उन्होंने इस प्रयासको स्थानीय व राज्य स्तरके साथ वैश्विक स्तरपर भी किए जानेको आवश्यक बताया । अन्तमें उन्होंने यह भी कहा कि ‘ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण’ प्रकृति व परमात्माके समन्वयको दर्शानेका कार्य करनेवाला है, जो विज्ञान एवं अध्यात्मके अनेक तथ्योंको जाननेका अवसर प्रदान करेगा ।
      हिन्दूवादी विचारधाराको प्रसारित करनेवाले मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथके वचन प्रशंसनीय हैं । उन्होंने वामपन्थके सत्यको भी सभीके सम्मुख प्रस्तुत किया है । वहीं यह भी सत्य है कि रामायण केवल एक धार्मिक ग्रन्थ ही नहीं; अपितु जीवन जीनेकी शैली भी है, जो विश्व स्तरपर प्रसारित होनेपर लोगोंमें धर्म जाग्रति व राष्ट्र निर्माणमें अति सहायक सिद्ध होगी । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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