प्रतिभूति मिलनेपर भी कारागृहमें ही रहेगा देहली उपद्रवका षड्यन्त्रकारी शरजील इमाम


२८ नवम्बर, २०२१
               देशद्रोहके आरोपमें कारागृहमें बन्द शरजील इमामको इलाहाबाद उच्च न्यायालयने एक प्रकरणमें प्रतिभूति (जमानत) प्रदान की है । यह प्रतिभूति अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालयमें ‘सीएए’ विधेयकके विरुद्ध भडकाऊ भाषण देनेके प्रकरणमें मिली है । प्रतिभूतिका आदेश न्यायधीश सुमित्र दयाल सिंहकी पीठने दिया है । शरजील इमामने, १६ दिसम्बर २०१९ को अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालयमें ‘सीएए’ व ‘एनआरसी’के विरुद्ध भडकाऊ भाषण दिया था एवं उसके विरुद्ध देशद्रोहका प्रकरण प्रविष्ट हुआ था । वहीं इस समाचारमें महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि शरजील इमाम अभी तिहाड कारागृहमें बन्द है और अभी वह वहीं रहेगा । इसका कारण है कि देहली उपद्रवका षड्यन्त्र रचने और जामियामें हुई हिंसासे जुड प्रकरण अभी भी न्यायालयमें विचाराधीन हैं । गत माह देहलीके एक न्यायालयमें शरजील इमामने अपने विरुद्ध प्रविष्ट प्रकरणको किसी ‘बादशाहका फरमान’ बताया था एवं स्वयंको यह भी कहा था कि वह कोई आतङ्की नहीं है । शरजीलको शाहीनबाग प्रदर्शनका मुख्य आयोजक भी माना जाता है व उसके विरुद्ध अन्य राज्योंमें भी अभियोग प्रविष्ट है । उल्लेखनीय है कि अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालयमें भडकाऊ भाषण देते समय उसने कहा था कि यदि हम ५ लाख लोग ‘ऑर्गेनाइज’ हो जाएं तो पूर्वोत्तर राज्यों व हिन्दुस्तानको ‘परमानेंटली’ काटकर पृथक कर सकते हैं ।
         ऐसे राष्ट्रद्रोही प्रतिभूतिके नहीं; अपितु फांसीके अधिकारी हैं; परन्तु इसमें खेद यह है कि हमारी भारतीय न्यायप्रणालीमें अपराधी भी संरक्षणके अधिकार है । प्रजातन्त्रमें ध्वस्त हो चुकी न्याय व्यवस्था, अब हिन्दू राष्ट्रमें ही सुचारू रूपसे संचालित होगी । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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