देहली उच्च न्यायालयने देहली उपद्रवके आरोपी आतङ्की शाहरुखकी प्रतिभूति याचिका अस्वीकार की
१५ अप्रैल, २०२१
शाहरुख पठानने देहली उच्च न्यायालयमें प्रतिभूतिके (जमानतके) लिए याचिका प्रविष्ट की थी । पठानका कहना था कि उसे उपद्रवका ‘पोस्टर बॉय’ बना दिया गया, जबकि उसकी किसीको मारनेकी कोई इच्छा नहीं थी ।
देहली उच्च न्यायालयने देहली उपद्रवके आरोपी शाहरुख पठानको प्रतिभूति देनेसे मना कर दिया है । शाहरुखपर फरवरी, २०२० में देहलीके ‘सीएए’ विरोधी उपद्रवके समय ‘पिस्टल’ लहराते हुए पुलिसकर्मीपर ‘फायरिंग’का आरोप है । जाफराबादमें प्रधान सिपाहीपर ‘पिस्टल’ ताने शाहरुखका छायाचित्र भी सामने आया था ।
न्यायाधीश सुरेश कैतकी एकल पीठने इस प्रकरणमें प्रस्तुत किए गए ‘वीडियो’को देखनेके पश्चात उसे प्रतिभूति नहीं दी । न्यायालयने कहा, “इस न्यायालयके सामने रखे गए ‘वीडियो’के लघु दृश्य और छायाचित्रने इसे न्यायालयकी अन्तरात्माको हिला दिया है कि याचिकाकर्ता विधान और व्यवस्थाको अपने हाथोंमें कैसे ले सकता है ?”
न्यायपालिकाका निर्णय सर्वथा उचित है और न्यायपालिका अभिनन्दनकी पात्र है । सामाजिक जालस्थलोंपर लोग आरम्भसे ही कह रहे थे कि जिहादी सुनियोजित हिंसामें लिप्त थे, उनके पास प्राणघातक शस्त्र थे और संयोग ही है कि उस समय वहांपर उपस्थित प्रधान पुलिसकर्मी और प्रदर्शन कर रही भीड बाल-बाल ही बची थी । इस घटनाके यह अपराधियोंने कई दिनोंतक पुलिससे बचनेका भरसक प्रयास किया था; अत: ये सारे कृत्य दिखाते हैं कि जिहादीका मुख्य ध्येय अपराध करना था, न कि लोगोंको भयभीत करना । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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