शास्त्र वचन
सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम् देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते ।
समानोव आकूति: समाना हृदयानिव: समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासति ।।
अर्थ : हे मनुष्यो, तुम सब मिलकर चलो, मिलकर वार्तालाप करो, तुम्हारे मन मिल जाए । तुम वैसे ही मिलकर कार्योंको सिद्ध करो जैसे विभिन्न क्षेत्रोंके देव परस्पर सहयोगसे कार्य करते हैं । तुम्हारा संकल्प समान हो, तुम्हारे हृदय समान हों, तुम्हारा मन समान हो, जिससे तुममें परस्पर साथ रहनेकी शुभ प्रवृत्ति हो ।
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