शास्त्र वचन


पञ्च सूना गृहस्थस्य चुल्ली पेषण्युपस्करः ।
कण्डनी चोदकुम्भश्च वध्यते यास्तु वाहयन् ।। – मनुस्मृति ३:६८
अर्थ : चूल्हा, चक्की, झाडू, ओखली तथा पानीका घडा गृहस्थियोंके ये पञ्च हिंसाके स्थान हैं, जिनको प्रयोगमें लाते हुए अनेक जीवोंका संहार होता है, जिससे गृहस्थ व्यक्ति हिंसाके पापसे बन्ध जाता है ।
तासां क्रमेण सर्वासां निष्कृत्यर्थं महर्षिभिः ।
पञ्च क्लृप्ता महायज्ञाः प्रत्यहं गृहमेधिनाम् ।। – मनुस्मृति ३:६९
अर्थ : उन सब हिंसासे उत्पन्न दोषोंकी निवृत्ति या क्षालन हेतु, महर्षियोंने प्रतिदिन करनेके लिए पांच महायज्ञोंका विधान प्रतिपादित किया है ।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution