अक्तूबर ५, २०१८
‘शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड’के कध्यक्ष वसीम रिजवीने पुनः बाबरी मस्जिदको लेकर चौंकाने वाला वक्तव्य दिया है । वसीम रिजवीने मुसलमानोंसे इसे हिन्दुओंको सौंपनेको कहा है ।
वसीम रिजवीने कहा कि उस कलंकको मस्जिद कहना अपराध है; क्योंकि मस्जिदके नीचेकी खुदाई १३७ श्रमिकोंने की थी, जिसमें ५२ मुसलमान थे । उस खुदाईके समय ५० मन्दिरके स्तम्भोंके नीचेके भागमें ईंटोंका बनाया गया चबूतरा भी मिला था ।
उन्होंने दावा किया कि खुदाईके समय मन्दिरसे जुडे कुल २६५ प्राचीन अवशेष मिले थे । इसीके आधारपर भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) इस निर्णय पर पहुंचा था कि ऊपरी सतहपर बनी बाबरी मस्जिदके नीचे एक मन्दिर दबा हुआ है । बाबरी इन मन्दिरोंको तोडकर इनके ढेरपर बनाई गई है ।
बाबरी मस्जिदका निर्माण तोडे गए मन्दिरोंके ढेरपर बनाए जानेको लेकर रिजवीने कहा कि इसका उल्लेख केके मोहम्मदकी पुस्तक ‘मैं भारतीय हूं’में भी किया गया है । ऐसी स्थितिमें उस बाबरी कलंकको ‘जायज’ मस्जिद कहना इस्लामिक सिद्धान्तोंके विपरीत है ।
उन्होंने आगे कहा कि अभी भी समय है लोग बाबरी मस्जिदसे जुडे, अपने दोषोंकी क्षमा प्रार्थना करें और हजरत मोहम्मदके इस्लामको मानें । आतंकी अबु बक्र, उमरकी विचारधाराको छोड रामका अधिकार हिन्दुओंको वापस करो और एक नूतन शान्तिकी मस्जिद लखनऊमें योग्य धनसे बनानेकी प्राथमिकता करो ।
इससे पूर्व ‘शिया सेंट्रल बोर्ड’के अध्यक्ष वसीम रिजवी ‘पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-१९९१’को समाप्त करनेकी मांग कर चुके हैं । रिजवीके अनुसार, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियमके अन्तर्गत विवादित मस्जिदें सुरक्षित की जा चुकी हैं । उन्हें हिन्दुओंको सौंपनेमें मुश्किल होगी, इसलिए इसे समाप्त किया जाए । रिजवीने इसको समाप्त करनेके साथ-साथ उन ९ मस्जिदोंको जिन्हें मुगल कालमें मन्दिरोंको तोडकर बनाया गया था, जिसमें अयोध्या, काशी, मथुरा, कुतुब मीनार, सहित कुल ९ मस्जिदें बनी हैं, उन्हें हिन्दुओंको सौंपनेकी मांग कर चुके हैं ।
“स्वतन्त्रताके पश्चात निधर्मी लोकतन्त्रके कारण ही आज इतनी विकट स्थिति है कि दुर्बल हुए हिन्दुओंको अपने भगवानके घरके लिए भी हाथ जोडने पड रहे हैं, अब ईश्वर ही इस राष्ट्रकी रक्षा कर सकते हैं” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : आजतक
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