एक व्यक्तिने फेसबुकपर लिखा है कि आपका सब कुछ सनातन संस्थासे मिलता जुलता है, क्या आप उनसे सम्बन्धित हैं ? पुत्रीके ऊपर माताका प्रभाव, पुत्रके ऊपर पिताका प्रभाव और शिष्यके ऊपर गुरुका प्रभाव होना तो स्वाभाविक है ! और शिष्य तो गुरुके पदचिन्होंपर चलनेवालेको कहते हैं, कृतघ्नोंको शिष्य थोडे ही कहते हैं ! मैंने ‘सनातन’द्वारा सीखे गए सिद्धान्तोंकी आराधना, समष्टिको करवा सकूं और अपने श्रीगुरुको कृतज्ञता इस माध्यमसे व्यक्त कर सकूं इसीलिए ‘उपासना’की स्थापना की है तो स्वाभाविक है मेरा सब कुछ सनातनसे ही मिलता जुलता होगा ! सत्य तो यह है कि मेरे श्रीगुरुके तत्त्व ज्ञानके अतिरिक्त मुझे कुछ आता ही नहीं है !
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