उज्जैनकी ‘मस्जिद’के नीचे शिव मन्दिर और गणेश मूर्ति ? सन्तने कहा, “राजा भोजकी थी राजधानी, प्रशासन कार्यवाही करे अन्यथा न्यायालय जाएंगे
१० मई, २०२२
मध्य प्रदेशके उज्जैनमें स्थित बिना नींववाली ‘मस्जिद’को लेकर बडा ‘दावा’ किया गया है । महामण्डलेश्वर अतुलेशानंदजी महाराजने कहा है कि उज्जैनकी ‘मस्जिद’के नीचे भगवान शिवका मन्दिर और गणेशकी मूर्तियां हैं । महामण्डलेश्वर अतुलेशानंदजी महाराज ‘अखण्ड हिन्दू सेना’के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं । उन्होंने कहा कि ‘मस्जिद’के नीच अति प्राचीन हिन्दू मूर्तियां हैं । उन्होंने ‘पुलिस’-प्रशासनके अधिकारियोंसे इसपर कार्यवाही करनेकी मांग की है ।
उनका कहना है कि ‘मस्जिद’में निरीक्षण, ‘फोटोग्राफी’ और ‘वीडियोग्राफी’ कराई जाए, जिससे सब कुछ स्पष्ट हो जाए । उन्होंने कहा कि निरीक्षण, ‘फोटोग्राफी’ और ‘वीडियोग्राफी’ होनेतक उन वस्तुओंसे कोई भी छेडछाड नहीं होनी चाहिए । साथ ही उन्होंने ‘मस्जिद’के भीतर हाथी, घोडे और ‘पत्थरों’पर विशाल रक्षक सैनिकोंकी प्रतिमाएं होनेका भी ‘दावा’ किया । सन्तने कहा कि ग्वालियरसे इस ‘मस्जिद’से जुडे अभिलेख मंगवाए जाएंगे, जिसके पश्चात सब स्पष्ट हो जाएगा । उन्होंने हिन्दुओंकी सम्पत्ति हिन्दुओंको ही सौंपनेकी मांग की । उन्होंने इतिहास बताया कि क्षिप्रा नदीके किनारे स्थित उज्जैन राजा भोजकी राजधानी रही है, जहां १६०० ‘ईस्वी’में मुगलोंने ‘तोडफोड’ मचा कर राजसात (कब्जा) किया था ।
उन्होंने चेताया कि यदि ‘पुलिस’-प्रशासन कार्यवाहीमें नहीं आता है तो वे न्यायालयका द्वार खटखटाएंगे । ‘आवाहन अखाडे’के महामण्डलेश्वरने कहा कि उन्होंने स्वयं २००७ में ‘मस्जिद’के भीतर जाकर ये वस्तुएं देखी थीं । उन्होंने बताया कि परमारकालीन राजा रोजके चित्रके अतिरिक्त शिव और गणेशकी मूर्तियां भीतर हैं ।
उज्जैन ही नहीं भारत एवं विश्वके अन्य देशोंमें भी जहां मुगलोंका राज था, वहांकी ‘मस्जिदों’को यदि टटोला जाए तो अवश्य ही वहां मन्दिरके अवशेष प्राप्त होंगे । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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