श्रीगुरु उवाच
अन्य धर्मीय, धनका लोभ देकर हिन्दुओंको अपने धर्ममें सम्मिलित करते हैं, वहीं हिन्दू धर्ममें सिखाई जानेवाली साधनाका महत्त्व ज्ञात होनेपर अन्य धर्मीय हिन्दू धर्मका स्वतः ही पालन करते हैं ।- परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था
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