धर्मके लिए अन्य धर्मी एक हो जाते हैं, जबकि संकीर्ण वृत्तिके हिन्दू केवल जातिके लिए एक होते हैं और अन्य जातियोंके स्वधर्मियोंसे लडते हैं । इसी कारणवश हिन्दू प्रतिदिन मार खाते हैं ! इसपर एकमात्र उपाय है, हिन्दुओंको साधना सिखाकर, उनमें धर्माभिमान जागृत करना !’ – परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था
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